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14 Jun 2022 · 1 min read

कबीर जयन्ती पर दोहे सृजन

“कबीर जयन्ती पर दोहे–सृजन”
“ज्येष्ठ मास पूर्णिमा”
दिनाँक –14.06.2022
****************************
कमल पुष्प शुचि पालना, लहर ताल के पास।
नीरू नीमा गोद ले, पूरी मन की आस।।

पंच घाट नित स्नान को ,गुरुवर रामानन्द।
चरण स्पर्श रज माथ को, भरयो मन आनन्द।।

जीव जगत की राह में ,जीवन का आधार।
राम राम प्रिय शब्द है ,सकल ज्ञान संसार।।

रीति नीति सब बोझ है, जकड़े सब जंजीर।
ढोंग सोच के गर्त में, सहता मानुष पीर।।

भेद भाव सब दूर हो, कपट लूट का अंत।
एक रक्त के रंग में, बन्धन बन्धु सुखन्त।।

कूप अंध पाखण्ड का, भरता जाये पाप।
घातक बनती पीर को, झेले मानुष आप।।

माया करती छल सदा, चले नहीं वह संग।
प्रेम भाव को तोलती, रिश्ते नाते भंग।।

पावन जीवन धारणा, रहे नहीं अब बन्द।
नूतन सर्जक भावना, घूमें मन स्वछन्द।।

अद्भुत जीवन सीख से, कुटिल नीति का अन्त।
सब जन हित ही कामना, सच्चे पक्के संत।।

हृदय परम सुख धाम है,बसे जहाँ हरि नाम।
हरते चिन्ता आप ही, बनते बिगड़े काम।।

गुरुवर ज्ञानी जो मिले,स्वामी रामानन्द।
जीवन पावन सीख दी,गढ़कर दोहे छंद-।।

शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏

Language: Hindi
199 Views
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