कफ़न
ग़रीबी का नक्शा अगर देखना है
कफ़न एक कहानी है पढ़ लीजिएगा
ग़रीबी भी रो दे ऐसी गरीबी
के दर्शन भी इसमें कर लीजिएगा
किसी के भी बस का न था ऐसा लिखना
वो संवेदना ही रही थी कि लेखक ने
नक्शा था खींचा पाठक के मन में
कफ़न से भी ज्यादा ज़रूरी है रोटी
क्या इंसान होता अगर ये न होती.।