कफस लफ़्ज़ों के
कहने को है बहुत कुछ
जिसे हम छिपाते हैं
अरमानों के आज़ाद परिंदे
को कहाँ रास आते है
कफस लफ़्ज़ों के …
इसलिए गढ़ लेते हैं किस्से दिल में
और दिल में ही फ़िर छिपाते हैं!!!!
हिमांशु Kulshreshtha
कहने को है बहुत कुछ
जिसे हम छिपाते हैं
अरमानों के आज़ाद परिंदे
को कहाँ रास आते है
कफस लफ़्ज़ों के …
इसलिए गढ़ लेते हैं किस्से दिल में
और दिल में ही फ़िर छिपाते हैं!!!!
हिमांशु Kulshreshtha