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24 May 2024 · 1 min read

कपट

मैं जीने के लिए खेलता हूं खेल जिंदगी का,
तुम्हे शौक जीतने का तुम खिलाड़ी अजीब हो।
मैं हारता रहूंगा मगर और खेलता रहूंगा खेल,
तुम जीत कर भी कितने बड़े बदनसीब हो।।

नजदीकियां भी मेरी तुमको नहीं गवांरा,
तेरे लिए मैं हारा बनता रहा बेचारा।
परछाईं भी न देखे कोशिश ये होगी मेरी,
पर है दुवा खुदा से जीते तू जहां सारा।।

मैं राह चल रहा था तू चाल चल रहा था,
शतरंज का खिलाड़ी निकला बड़ा तू प्यारा।
अपनों को नहीं मारते शतरंज के मोहरे भी,
हर चाल तेरी “संजय” अपनों का सर उतारा।।

जय हिंद

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