कन्या रूपी फूल
मरवा डाला कोख मे,बेटी को हर बार!
ढूढ रहा नवरात्र मे,कन्या को सब द्वार!!
बेटे की शादी करें,..जहाँ लगा कर मोल !
वहाँ सुता के जन्म पर,बजे कहाँ हैं ढोल !!
रचना के उत्थान का,.सुता अगर है जाप !
क्यों लेते हो भ्रूण की,ह्त्या का फिर पाप !!
शादी में तहँ पुत्र की,.पैसा किया वसूल !
जिस घर को भाया नहीं,कन्या रूपी फूल !!
कृष्ण प्रेम की गूढता, क्या समझेंगे मूढ़ !
कृष्ण प्रेम अति गूढ़ है, गूढ़ गूढ़ अतिगूढ़ !!
रमेश शर्मा.