कनक मंजरी छंद
कनक मंजरी छंद
चार चरण,23 वर्ण,हर चरण में प्रथम 4 लघु, 6 भगण, अंत में 1 दीर्घ अनिवार्य।
मधुरिम सुन्दर मोहक रागिनि भाव प्रधान सदा सुखदा।
अतिशय शांत रसायन भावुक निर्मल दिव्य बयार सदा।
मधुमय शीतल छांव प्रभाव हरे थकते तन की विपदा।
मनहर सौम्य सदा अति रम्य विराट सुहावन भव्यशुदा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।