कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
उसके जैसा बेगैरत इस जमाने में नहीं
जो तौहीन करता हैं माँ-बाप की बुढ़ापे में
उसके जैसा कोई निर्लज्ज जमाने में नहीं
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
उसके जैसा बेगैरत इस जमाने में नहीं
जो तौहीन करता हैं माँ-बाप की बुढ़ापे में
उसके जैसा कोई निर्लज्ज जमाने में नहीं