कदर
कदर नहीं मेरे हुसन ए महबूब को मेरी,
पर मुझे उन पर नाज़ है।
चर्चे हैं उनकी सुंदरता के,
यही मेरे लिए ताज है।
यकीन है मुझे उन पर वो एक दिन मेरी मोहब्बत के गुलाम होंगे।
पर उस दिन पता नहीं हम किस,
कब्र के मेहमान होंगे।
कदर नहीं मेरे हुसन ए महबूब को मेरी,
पर मुझे उन पर नाज़ है।
चर्चे हैं उनकी सुंदरता के,
यही मेरे लिए ताज है।
यकीन है मुझे उन पर वो एक दिन मेरी मोहब्बत के गुलाम होंगे।
पर उस दिन पता नहीं हम किस,
कब्र के मेहमान होंगे।