Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Dec 2023 · 1 min read

कदम रोक लो, लड़खड़ाने लगे यदि।

कदम रोक लो, लड़खड़ाने लगे यदि।
जुबां रोक लो, बड़बड़ाने लगे यदि।।
हैं आएंगी कमियां बहुत इस सफर में।
जलन रोक लो, घर जलाने लगे यदि।।

जय हिंद

1 Like · 294 Views

You may also like these posts

*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*ट्रक का ज्ञान*
*ट्रक का ज्ञान*
Dr. Priya Gupta
हिंदुत्व सेमेटिक मतों से भिन्न श्रेणी में है । यहुदी, ईसाईयत
हिंदुत्व सेमेटिक मतों से भिन्न श्रेणी में है । यहुदी, ईसाईयत
Acharya Shilak Ram
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
#एक गुनाह#
#एक गुनाह#
Madhavi Srivastava
हर जुमले में तेरा ज़िक्र था
हर जुमले में तेरा ज़िक्र था
Chitra Bisht
" बँटवारा "
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कार
संस्कार
Rajesh Kumar Kaurav
तिरंगा
तिरंगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हाय हाय पैसा
हाय हाय पैसा
अवध किशोर 'अवधू'
प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप
Kanchan verma
क्या हुआ की हम हार गए ।
क्या हुआ की हम हार गए ।
Ashwini sharma
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
तीसरी बेटी - परिवार का अभिमान
Savitri Dhayal
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
प्यासी तड़प
प्यासी तड़प
C S Santoshi
मेरा अरमान
मेरा अरमान
Shutisha Rajput
तू बदल गईलू
तू बदल गईलू
Shekhar Chandra Mitra
समय देकर तो देखो
समय देकर तो देखो
Shriyansh Gupta
पाप के छेदों की एम्बाडरी (रफु ) के लिए एक पुस्तक है। जीसमे
पाप के छेदों की एम्बाडरी (रफु ) के लिए एक पुस्तक है। जीसमे
*प्रणय*
सरकार अगर बेटियों के लिए पिस्टल/रिवाल्वर का लाइसेंस आसान व उ
सरकार अगर बेटियों के लिए पिस्टल/रिवाल्वर का लाइसेंस आसान व उ
Anand Kumar
चांदनी की झील में प्यार का इज़हार हूँ ।
चांदनी की झील में प्यार का इज़हार हूँ ।
sushil sarna
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
Lokesh Sharma
मुझसे रूठकर मेरे दोस्त
मुझसे रूठकर मेरे दोस्त
gurudeenverma198
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
मुझे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान हैं बहुत लोग,
Ranjeet kumar patre
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
उसे अंधेरे का खौफ है इतना कि चाँद को भी सूरज कह दिया।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जश्न आंखों में तुम्हारी क्या खूब नज़र आ रहा हैं...
जश्न आंखों में तुम्हारी क्या खूब नज़र आ रहा हैं...
Vaibhavwrite..✍️
*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
बचपन
बचपन
Vedha Singh
"तुम्हे बुनते बुनते"
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
आँसू
आँसू
अनिल मिश्र
Loading...