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31 May 2024 · 1 min read

कत्ल कर जब वो कातिल गया

काफिया—इल
रदीफ—गया
बहर– 212 212 212

“कत्ल कर जब वो कातिल गया”

कत्ल कर जब वो कातिल गया।
शख्स ले साथ वो दिल गया।

हो गई दिल को तकलीफ तब,
ज़ख्म ज़ालिम वो जब छिल गया।

प्यार के गुर न आये जिसे,
दिल चुरा कर वो जाहिल गया।

पूछा जब बेरुखी का सबब,
होंठ अपने ही वो सिल गया।

था नहीं मेरी किस्मत में जो,
रूह को छू वो नाज़िल गया।

नाव भी डूबने से बची,
अश्क में बह के साहिल गया।

ज़ख्म पर ज़ख्म जब भी मिला,
‘भारती’ तब हो गाफिल गया।

कत्ल कर जब वो कातिल गया।
शख्स ले साथ वो दिल गया।
— सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)

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