कजरी
तुम क्या जानो बाबू ,भूख क्या होती है तुम्हारी तरह चांदी का चम्मच मुंह में ले कर पैदा नहीं हुए हम , उम्र कम है पर दुनिया बहुत देखी है बाबू ये प्यार व्यार का खेल हमसे मत खेलो और जाओ बाबू अपना रास्ता नापो हमें परेशान न करो।
उस लड़की की बातें सुनकर सोनू हक्का बक्का रह गया। सोनू किसी सेठ के वहां ड्राइवर था । शादी हो चुकी थी ,मगर पत्नी उसे छोड़कर जा चुकी थी । अकेलापन दूर कर फिर से घर बसाने के लिए सोनू किसी साथी की तलाश कर ही रहा था । तभी उसकी नज़र उस लड़की पर पड़ी।
रोज आते जाते उसे नज़र आ जाती थी । लड़की उसे अच्छी लगने लगी थी नाक नक्श अच्छे ही थे।रोड पर छोटी मोटी चीजें बेचा करती थी अकेली ही थी शायद क्योंकि कभी उसके साथ किसी को नहीं देखा था ।
सामान खरीदने के बहाने से एक दो बार बात करनें की कोशिश भी की पर बात बनी नहीं । आजू-बाजू वालों को पुकारते सुना था उसका नाम कजरी था। काफी कोशिश के बाद आज हिम्मत कर के कह ही दिया “मैं तुमसे पसंद करता हूं मुझसे शादी करोगी ” सेठ के वहां ड्राइवर हूं इतनी तनख़ा मिल जाती है की तुम्हे आराम से रख सकूं ।
इतना सुनते ही कजरी भड़क गई और रास्ता नापो कहकर इतना कुछ सुना दिया।।सोनू हक्का बक्का सा बस देखता रह गया । फिर जरा हिम्मत जुटा कर कहा ” मैं सच कह रहा हूं कजरी मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं।”
तुम मेरे बारे में क्या जानते हो बाबू ,मैं कौन हूं क्या हूं और चले आए प्यार जताने तुम लोगों की मंशा क्या होती है मैं जानती हूं। अकेली लडकी देखी नहीं और लगे प्यार जताने । नहीं करनी मुझे तुमसे शादी वादी जाओ बाबू जाओ। और सोनू से कुछ कहते न बना ।
अतीत नें न जाने कितना जहर भर दिया था कजरी के दिल में कि भरोसा नाम की चीज तो जाने कहां गुम हो चुकी थी।
तिरछी नजर से सोनू को जाते हुए देखा और फिर से अपने आप को व्यस्त दिखाने की कोशिश करने लगी थी ।
शायद सोनू ने उसकी किसी दुखती रग पर हाथ रख दिया था। इतनी छोटी उम्र में खाई चोटों का दर्द इतना अधिक था की फिर एक बार और चोट खाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। कुछ पुराने ज़ख्मों की टीसें आंखों में उभर आई जल्दी से आंसुओ को साफ किया और अपने काम में लग गई ।
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© गौतम जैन ®