रक्षा बंधन
नहीं टूटने देना भैया
कच्चे धागों का ये बन्धन
तुमको मंगल तिलक लगाऊं
भाल सजाऊँ रोली चन्दन
वैसे तो होती है नाजुक
ये पतली रेशम की डोरी
मगर प्रीत से बंधती है जब
नहीं किसी से जाये तोड़ी
दीप जलाकर करूँ आरती
और तुम्हारा ही अभिनन्दन
नहीं टूटने देना भैया
कच्चे धागों का ये बन्धन
भैया मेरी रक्षा करना
मैं तो चाहूँ उपहार यही
और हमारे बीच हमेशा
रहे मधुर व्यवहार यही
खिला मिठाई यही मनाऊँ
बना रहे यूँ ही अपनापन
नहीं टूटने देना भैया
कच्चे धागों का ये बन्धन
कभी किसी भी कारण भैया
अगर नहीं आ पाये बहना
भूल नहीं जाना तब मुझको
याद मुझे तुम करते रहना
रहूँ कहीं भी लेकिन होगा
पास तुम्हारे ही मेरा मन
नहीं टूटने देना भैया
कच्चे धागों का ये बन्धन
03-10-2018
डॉ अर्चना गुप्ता