कंपीटेटिव एग्जाम: ज्ञान का भूलभुलैया
कंपीटेटिव एग्जाम: ज्ञान का भूलभुलैया
कंपीटेटिव एग्जाम की दुनिया, ज्ञान का भूलभुलैया, यूट्यूब, टेलीग्राम, पीडीएफ, सबके चक्कर में खो जाता मन का नैया। अनगिनत कोर्सेस, फ्री टेस्ट, रणनीति की भरमार, विद्यार्थी का दिमाग उलझ जाता, ज्ञान का हो जाता अंधकार।
इन्फ्लुएंसरों की बाढ़, हर कोई ज्ञान का दाता, कौन सही, कौन गलत, समझ में नहीं आता। सही गलत की उलझन में, विद्यार्थी भटक जाता, कौन सा रास्ता सही, कौन सा गलत, ये सवाल उसे सताता।
सोशल मीडिया का जाल, विद्यार्थी को घेरता, हर पल नया ज्ञान, हर पल नया डर दिखाता। परीक्षा का सिलेबस, भारी लगने लगता, ज्ञान का बोझ, विद्यार्थी को थका देता।
परीक्षा की कठिनाई, हौसलों को तोड़ने लगती, ज्ञान का भंडार, अपर्याप्त लगने लगता। भ्रम और निराशा, विद्यार्थी को घेर लेते, सफलता का रास्ता, कहीं खो जाता लगता।
लेकिन डरें नहीं विद्यार्थी, हार ना मानो तुम, आत्मविश्वास और मेहनत से, हर मुश्किल को तुम पार करो तुम। ज्ञान का भंडार, धीरे धीरे बनाओ, परीक्षा के सिलेबस पर, ध्यान केंद्रित करो।
सोशल मीडिया का जाल, छोड़ो तुम दूर, ज्ञान का सही स्रोत, ढूंढो तुम जरूर। परीक्षा की तैयारी, योजनाबद्ध तरीके से करो, सफलता की कुंजी, अपने हाथों में ही रखो।
यह कविता उन सभी विद्यार्थियों के लिए है, जो कंपीटेटिव एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं। यह उन सभी को प्रेरित करने के लिए है, कि हार ना मानें, हौसले से आगे बढ़ें। ज्ञान का भंडार धीरे धीरे बनाएं, और परीक्षा की तैयारी योजनाबद्ध तरीके से करें। सफलता निश्चित रूप से आपकी होगी।