और मुझपे ज़ुल्म ……
और मुझपे ज़ुल्म ढाना छोड़ दे,
क्या कहेगा ये ज़माना? छोड़ दे,
हो सके तो “अश्क” के आ रूबरू –
आके यादों में सताना छोड़ दे।।
© अश्क चिरैयाकोटी
दि०:03/03/2022
और मुझपे ज़ुल्म ढाना छोड़ दे,
क्या कहेगा ये ज़माना? छोड़ दे,
हो सके तो “अश्क” के आ रूबरू –
आके यादों में सताना छोड़ दे।।
© अश्क चिरैयाकोटी
दि०:03/03/2022