**आओ कुछ नया करें** लेख
??आओ कुछ नया करें ??
सम्मानित साथियों, कविता गीत गजल छंद तो लगभग प्रतिदिन हम लिखते हैं, पढ़ते हैं ,देखते हैं ।
आज विचार आया क्यों नअपने अंतःकरण में उठने वाली आवाज को आपके बीच बांटू।
वैसे तो हम लगभग पिछले 15 माह से एक ऐसी महामारी से जूझ रहे हैं जिसने संपूर्ण देश के साथ विश्व को झकझोर के रख रखा है। तथापि पिछले लगभग 1 महीने से इसका जो भी विकराल रूप हमारे राष्ट्र में देखने को मिल रहा है ,उसने मानव जगत को डरा सा दिया है।
कारण आज सोशल मीडिया का जमाना है, संदेश प्रसारण होने में वक्त नहीं लगता है ।
कहीं भी घटने वाले घटनाक्रम को तुरंत इस माध्यम से एक दूसरे तक प्रसारित किया जा रहा है जो कि मेरे नजरिए से कुछ गलत है ।
आज आवश्यकता है कि हर पटल पर जुड़े जनसमूह को एक सकारात्मक सोच के साथ एक दूसरे के बीच जाना होगा, तभी हम इस अदृश्य महामारी का मुकाबला सटीक तरीके से कर पाएंगे ।क्योंकि डरावने संदेश कहीं ना कहीं मानव मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, और उससे मन में कई प्रकार की शंका कुशंकाएं घर करती है
वह अपने आप में बेचैनी सी महसूस करता है,
और स्वयं को असहज स्थिति में पहुंचा देता है।
इस छोटे से संदेश के माध्यम से मैं आप सभी से चाहता हूं कि ऐसे ही सकारात्मक सोच वाले चिंतन को हम समाज में पहुंचाने का बीड़ा उठाएं————-
आइए, कुछ चंद पंक्तियों के साथ अपने आप को जोड़ते हैं –
संदेश वही अब हम जन जन में पहुंचाएंगे।
डरावनी तस्वीरों को कभी नहीं दिखाएंगे।
मानव मस्तिष्क में बस एक ही बात बिठाएंगे।
है यह विपदा कुछ समय की,जल्दी ही जीत जाएंगे।।
जो खोया भूल जाएंगे, सपने नए सजाएंगे।।
**हर मानव की जीत हो_सकारात्मकता का संगीत हो।।
राजेश व्यास अनुनय