औरों में दोष न ढूंढो
जैसे मधु-मक्खी रंग-बिरंगे फूलों से पराग चुन-चुन कर लती है शहद बनाने को ,
कितना भला करती है ,मिठास देती है और सबक भी देती है सारे ज़माने को ,
के तुम भी सद्गुण देखो दूसरों में, अपने सम्बन्ध मधुर बनाने को ,
मक्खी या कीड़ा मत बनो जो ढूढे औरों में दोष या गंदगी को।।