Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2024 · 1 min read

औरत…..

औरत…..

जाने
कितने चेहरे रखती है
मुस्कराहट
थक गई है
दर्द के पैबंद सीते सीते
ज़िंदगी
हर रात
कोई मुझे
आसमाँ बना देता है
हर सहर
मैं पाताल से गहरे अंधेरों में
धकेल दी जाती हूँ
उफ़्फ़ ! कितनी बेअदबी होती है
मेरे जिस्म के साथ
ये बेरहम मिट्टी के पुतले
मेरी मिट्टी को
बेरहमी से रौंदते हैं
मेरी चीखें
खामोशी की क़बा में
दम तोड़ देती हैं
मेरे ज़िस्म पर
न जाने कितने लम्स
कहकहे लगाते हैं
खूंटी पर टंगे आँचल में
मुरव्वत मुस्कुराती है
हर लम्हा कोई चश्म
औरत के गोश्त का
शिकार कर जाती है
सलवटों के हुज़ूम में
ये ज़िस्मानी औरत
रेज़ा-रेज़ा
बिखर जाती है

;सुशील सरना

49 Views

You may also like these posts

तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
तूं ऐसे बर्ताव करोगी यें आशा न थी
Keshav kishor Kumar
लेकिन मुझे भी तो कुछ चाहिए
लेकिन मुझे भी तो कुछ चाहिए
gurudeenverma198
दोहा ग़ज़ल. . .
दोहा ग़ज़ल. . .
sushil sarna
हाइकु
हाइकु
भगवती पारीक 'मनु'
कभी पत्नी, कभी बहू
कभी पत्नी, कभी बहू
अनिल "आदर्श"
अद्भुद भारत देश
अद्भुद भारत देश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
कुछ नया लिखना है आज
कुछ नया लिखना है आज
करन ''केसरा''
एक अधूरी दास्तां
एक अधूरी दास्तां
Sunil Maheshwari
इंसानियत के लिए
इंसानियत के लिए
Dr. Rajeev Jain
3670.💐 *पूर्णिका* 💐
3670.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
दिवाली का अभिप्राय है परस्पर मिलना, जुलना और मिष्ठान खाना ,प
ओनिका सेतिया 'अनु '
बंजर भूमि हुई मेरी
बंजर भूमि हुई मेरी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
"वाह री दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
पंकज परिंदा
छाव का एहसास
छाव का एहसास
Akash RC Sharma
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
Ajit Kumar "Karn"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
इतना भी अच्छा तो नहीं
इतना भी अच्छा तो नहीं
शिव प्रताप लोधी
sp, 129 शब्दों का तीर
sp, 129 शब्दों का तीर
Manoj Shrivastava
कलाकार की कलाकारी से सारे रिश्ते बिगड़ते हैं,
कलाकार की कलाकारी से सारे रिश्ते बिगड़ते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
घंटीमार हरिजन–हृदय हाकिम
घंटीमार हरिजन–हृदय हाकिम
Dr MusafiR BaithA
आवाहन
आवाहन
Shyam Sundar Subramanian
दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
दूर भाग जाएगा ॲंधेरा
Paras Nath Jha
बस करो, कितना गिरोगे...
बस करो, कितना गिरोगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
उम्मीद
उम्मीद
शेखर सिंह
सबसे कम
सबसे कम
©️ दामिनी नारायण सिंह
मैं बिल्कुल आम-सा बंदा हूँ...!!
मैं बिल्कुल आम-सा बंदा हूँ...!!
Ravi Betulwala
"तुम कौन थे , क्या थे, कौन हो और क्या हो ? इसके बारे में कोई
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
शादीशुदा🤵👇
शादीशुदा🤵👇
डॉ० रोहित कौशिक
ज्ञान:- खुद की पहचान बस और कुछ नहीं
ज्ञान:- खुद की पहचान बस और कुछ नहीं
हरिओम 'कोमल'
Loading...