ओ बेख़बर मेरे रहगुज़र
ओ बेख़बर मेरे रहगुज़र देख ज़रा,
दिल ने दस्तक़ दी न जाने कब किधर?
तेरी मुस्कुराहटों के अफ़साने देखे थे हज़ार हमने,
गली गली ढूंढता हूँ तुझे, कभी इधर कभी उधर?
शायर© किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)
ओ बेख़बर मेरे रहगुज़र देख ज़रा,
दिल ने दस्तक़ दी न जाने कब किधर?
तेरी मुस्कुराहटों के अफ़साने देखे थे हज़ार हमने,
गली गली ढूंढता हूँ तुझे, कभी इधर कभी उधर?
शायर© किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)