Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Dec 2021 · 1 min read

ओ प्रिय (अतुकांत काव्य)

ओ प्रिय (अतुकांत काव्य)
■■■■■■■■■■■■■■
प्रिय ! तुम ही तो जीवन हो
जीवन की शाम में और भी ज्यादा आकर्षक और आवश्यक ।
जीवन तुम्हारे अस्तित्व पर ही तो टिका है !

न घर ,न बाहर ,न हँसी ,न उल्लास-
सब कुछ तुमसे ही है
तुम्हारे साथ ही है
तुम्हारे द्वारा ही तो यह घर महकता है ।

अच्छा लगता है तुम्हारा रूठना ,नखरे करना और अक्सर गुस्सा हो जाना ।
इनके बिना जीवन में अधूरापन होगा।

कोई नहीं है सिवाय तुम्हारे
जो इतने प्यार से मुझे अपनत्व की डोर से बांध कर रख सके।
तुम्हारी हर क्रिया और प्रतिक्रिया में प्यार ही प्यार है ।
यही सच पूछो तो जीवनी-शक्ति से भरा हुआ संसार है ।

अक्सर याद आता है
तुम्हारा अटपटे मुहावरों वाली भाषा में बात करना
याद आता है तुम्हारा बहुत कुछ भूल जाना
सब कुछ सीधे-सपाट कह देना
अच्छा लगता है तुम्हारा मुझे बुद्धू समझना।।
—————————————————
रचयिता : रवि प्रकाश ,रामपुर
रचना तिथि : 10 दिसंबर 2021

228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
हार मैं मानू नहीं
हार मैं मानू नहीं
Anamika Tiwari 'annpurna '
ये मन रंगीन से बिल्कुल सफेद हो गया।
ये मन रंगीन से बिल्कुल सफेद हो गया।
Dr. ADITYA BHARTI
छलावा
छलावा
Sushmita Singh
आंखों की भाषा के आगे
आंखों की भाषा के आगे
Ragini Kumari
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
Gunjan Tiwari
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
3651.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
हाजीपुर
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
अनुराग मेरे प्रति कभी मत दिखाओ,
Ajit Kumar "Karn"
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
"चित्तू चींटा कहे पुकार।
*प्रणय*
Monday Morning!
Monday Morning!
R. H. SRIDEVI
कभी सोचता हूँ मैं
कभी सोचता हूँ मैं
gurudeenverma198
What consumes your mind controls your life
What consumes your mind controls your life
पूर्वार्थ
सफलता की ओर
सफलता की ओर
Vandna Thakur
कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
Akash Agam
कोई भोली समझता है
कोई भोली समझता है
VINOD CHAUHAN
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
कवि रमेशराज
हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
हिमांशु Kulshrestha
सत्य वह है जो रचित है
सत्य वह है जो रचित है
रुचि शर्मा
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
बदलते मूल्य
बदलते मूल्य
Shashi Mahajan
"किसी की याद मे आँखे नम होना,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
रस्म ए उल्फ़त में वफ़ाओं का सिला
Monika Arora
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
Jogendar singh
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
*बस मे भीड़ बड़ी रह गई मै खड़ी बैठने को मिली ना जगह*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुलभुत प्रश्न
मुलभुत प्रश्न
Raju Gajbhiye
चाहत थी कभी आसमान छूने की
चाहत थी कभी आसमान छूने की
Chitra Bisht
गीत
गीत
सत्य कुमार प्रेमी
मेरे जीवन का सार हो तुम।
मेरे जीवन का सार हो तुम।
Ashwini sharma
माँ अपने बेटे से कहती है :-
माँ अपने बेटे से कहती है :-
Neeraj Mishra " नीर "
Loading...