कान्हा ओ कान्हा!
ना ना ओ कान्हा,
ना ना मै नही बंसी चुराई,
राधिके तुने बंसी चुराई;
मेरी बंसी जब जब बजती,
गोपियों की टोली सजती,
तब तब तुमरा तन्हा होना,
गुमसुम रह कर चलना फिरना,
चुगली करता जब वो लम्हा,
देखा मैंने तिरछी नैन्हा,
बतला दे मेरी प्यारी मैना,
तुने बंसरी चुराई!
ना ना रे कान्हा,
मैंने ना बंसरी चुराई,
तुमही बंसरी को बिसराए,
जाने कहां तुम रख कर आए,
मुझ पर झूठा दोष लगाए,
अब तुमको कौन समझाए,
राधिका को ना बंसरी भाए,
फिर राधिका क्यों बंसरी चुराए,
ना ना कान्हा, हम नही बंसरी चुराए,
राधिका तुम ही बंसरी चुराए,
हां हां कान्हा हम ही बंसरी चुराए!