ओस बूंद का राज
दादी कहती आज बताऊँ,
ओंस बूंद का राज।
ओंस बूंद कैसे बनती है,
कैसे करती काज?
क्या पत्ते गिरने से पहले,
रोते पत्ते-शाख।।
चंदा-सूरज ग्रह ये तारे,
रोते भरके आँख।
आसमान रोता क्या रोती,
धरती सारी रात ?
क्या चुपके से बादल भैया,
कर जाते बरसात?
दादी कहती आज बताऊँ,
ओंस बूंद का राज।
ओंस बूंद कैसे बनती है,
कैसे करती काज?
चारों ओर हवा होती है,
लिए गर्म जलवाष्प।
ठंडी सतहों से टकराकर,
बूंदे बनती आप।।
ओंस बूंद ज्यादा दिखती जब,
साफ रहे आकाश
फूल पात धरती हर वस्तु,
गीली रहती घास।।
दादी कहती आज बताऊँ,
ओंस बूंद का राज।
ओंस बूंद कैसे बनती है,
कैसे करती काज?
कम दृष्टि और दर्द अधिक जब,
घुटने लगते बोझ।
सेवन लेपन चलने से ही,
भग जाते सब रोग।
होंठ फ़टे, पैरों में सूजन,
आँखे हो जब लाल।
हाई बीपी, जले बदन में,
बूंदे करे कमाल।।
दादी कहती आज बताऊँ,
ओंस बूंद का राज।
ओंस बूंद कैसे बनती है,
कैसे करती काज?
ओंस कहो ओसांक कहो या,
शबनम मोतीजाल।
सुबह सबेरे दर्शन पाओ,
जीवन हो खुशहाल।
छोटी बूंदे कहकर बच्चों,
मत करना अपमान।
छोटी-छोटी चीजें ही तो,
देती जीवनदान।।
दादी कहती आज बताऊँ,
ओंस बूंद का राज।
ओंस बूंद कैसे बनती है,
कैसे करती काज?
संतोष बरमैया जय