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6 Oct 2021 · 1 min read

ओस की बूंँदे !

ओस की बूंँदे ,
मोतियों-सी सजती,
नभ से गिरी ।

गगन अश्रु ,
कोहरे में रो पड़ी,
दर्द-सी भरी ।

भाव विभोर ,
धुन्ध की छटा घोर,
नैना घूरती ।

केश सजते ,
पिरोती माला जैसे,
श्रृंगार बनी ।

अमृत बूंँदे ,
ठंडक का बुलाती,
ओस टपकती ।

लालिमा हँसी,
धुन्ध मिटा नभ से,
ओस मनोहारी ।

धुन्ध मिटी,
इंद्रधनुष सजी,
बूँदो से खिली ।

****बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।

Language: Hindi
3 Likes · 443 Views
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