ओम शिवाय नमः
ओम शिवाय नमः
हरे प्रशांत भव्य भाव दिव्य देह शोभनम।
उमेश सत्य पार्वती सुसंग स्नेह दर्शनम।
गणेश ज्ञान पीठ साथ स्नेह सर्व मंगला।
विशेष शम्भु शंकरम प्रदीप्त बुद्धि निर्मला।
अजेय आदि शंकरा महेश प्रीति शंकरी।
सदैव सर्व देव लोक सभ्यता मनोहरी।
विभूति ब्रह्म नाद अस्ति अस्तिमान शंकरम।
स्वतंत्र राग रागिनी अजीत शम्भु वंदनम।
शिवा प्रियेश गंगधर जटा अनंत शोभते।
शरीर स्वर्ण दिव्य वर्ण सर्व शर्व मोहते।
मशान मात्र दिव्य घाट स्थान रम्य लोभते।
प्रसन्नचित्त भावना कभी न शम्भु क्रोधते।
महा कला महा बला महा विनम्र अस्मिता।
प्रजापती हिरण्यरेत उच्च वृत्ति नम्रता।
भुजंग भूषणम महा पवित्र कर्म धर्मदा।
सदैव गिरि गिरीश स्तुत्य त्याग यज्ञ सम्पदा।
अनेक आत्म सात्विकी अव्यग्र धीर हरि सदा।
महा पुनीत धर्म -कर्म -ज्ञान- दान सर्वदा।
समग्र लोक व्याप्त गुप्त गोपनीय ज्ञानदा।
प्रभाकरम सुधारकरम जगद्गुरू सुखप्रदा।
अनीश ईश्वरीय ईश विश्वपति जगत -पती ।
सदैव भूतपति महान देव सूक्ष्मतनु -पती।
विशाल नेत्र दिव्य दृष्टि उर उदार प्रीतिमा।
नमामि वंदनीय शम्भु -शिव- शिवा मनोरमा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।