Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2020 · 2 min read

ऑन लाइन शिक्षा … छलावा मात्र

लेख

बिना विद्यालय गए नई शिक्षा का अनुभव अनोखा जरूर है परन्तु लाभप्रद नहीं । वर्तमान की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अगर मैं यह कहूं कि ये तकनीक सिर्फ एक सीमा तक ही सही है; हम विद्यार्थी जीवन के समस्त चरण, विद्या ग्रहण, इत्यादि ऑन लाइन कक्षाओं के माध्यम से नहीं प्राप्त कर सकते या से सकते । जहां तक वर्तमान स्थिति को देखते हुए मैं स्वयं के अनुभव की बात कहूं तो घर पर ऑन लाइन से ज्ञान प्राप्त करना एक सीमा तक ही सही है क्योंकि कक्षा – कक्ष जैसा वातावरण , अध्यापक का समक्ष होना, पाठ से संबंधित अपनी समस्यों पर वार्तालाप ये सभी एक खालीपन का एहसास कराते हैं । घर पर हम पढ़ तो रहे हैं और अध्यापक भी अपना पूर्ण दायित्व निभा रहे हैं परन्तु पढ़ते समय एकाग्रता नहीं है क्योंकि घर… घर ही होता है जहां हमारे अभिभावक, भाई – बहन सभी साथ होते हैं ध्यान सारा वही लगा रहता है और दूसरी बात हमें ऐसा लगता है कि हम पर कोई नज़र रख रहा है हम अपनी अध्यापिकाओं के साथ उतने सहज नहीं हो पाते जितने कक्षा में होते हैं।

कभी मम्मी पानी लेकर आ जाती हैं, हमें बार – बार भूख लगने लगती है, ऑन लाइन कक्षा चल रही है और हम कभी भी कहीं भी उठकर चले जाते है बिना अध्यापक से आज्ञा लिए कुछ भी खा – पी लेते हैं क्योंकि न तो हम उन्हें देख रहे और न ही वो हमें और जरूरी भी नहीं कि सभी विद्यार्थी जो ऑन लाइन उपस्थित हैं वो उपस्थित हैं भी या नहीं ।

अपने अनुभव के आधार पर मैं यही कहूंगी कि एक विद्यार्थी के लिए विद्यालय एक मंदिर है जहां जाकर ही ज्ञान की प्राप्ति संभव है । हमारे गुरु हमारे ईश है जो हमें ज्ञान देते हैं और ज्ञान के लिए गुरु का संसर्ग चाहिए जो उनके नज़दीक रहकर ही प्राप्त होता है । चाहे इंडिया जिताना भी डिजिटल हो जाए परन्तु विद्यायल और शिक्षक का स्थान नहीं ले सकता ।

समसामयिक परिस्थिति में तकनीकी की इस विधि से शिक्षा तो दे सकते हैं पर ज्ञान नहीं और वो भी उन विद्यार्थी को जिनके पास इस सुविधा का लाभ उठाने के साधन है बाकी वंचित ही रह जाएंगे । अंत में कुछ पंक्तियों के माध्यम से मैं यही कहूंगी कि –

तकनीकी से विकास झलकता
विद्यालय से है ज्ञान बरसता
तकनीकी का बीजारोपण भी
विद्यालय की धरती पे पनपता ।

इंडिया चाहे जिताना हो डिजिटल
शिक्षा का दर एक ही घर
विद्यालय का प्रांगण ही है
छात्रों के लिए विद्या का स्थल ।

डॉ नीरू मोहन ‘ वागीश्वरी ‘

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 1 Comment · 379 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आकाश
आकाश
Dr. Kishan tandon kranti
बुंदेली दोहा-पखा (दाढ़ी के लंबे बाल)
बुंदेली दोहा-पखा (दाढ़ी के लंबे बाल)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बरसात
बरसात
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*असीमित सिंधु है लेकिन, भरा जल से बहुत खारा (हिंदी गजल)*
*असीमित सिंधु है लेकिन, भरा जल से बहुत खारा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
आवारग़ी भी ज़रूरी है ज़िंदगी बसर करने को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रात तन्हा सी
रात तन्हा सी
Dr fauzia Naseem shad
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
आँशुओ ने कहा अब इस तरह बहा जाय
Rituraj shivem verma
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
Ranjeet kumar patre
My love at first sight !!
My love at first sight !!
Rachana
महाकाल
महाकाल
Dr.Pratibha Prakash
Let's Fight
Let's Fight
Otteri Selvakumar
3085.*पूर्णिका*
3085.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Labour day
Labour day
अंजनीत निज्जर
घर आंगन
घर आंगन
surenderpal vaidya
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
इक ऐसे शख़्स को
इक ऐसे शख़्स को
हिमांशु Kulshrestha
राम ने कहा
राम ने कहा
Shashi Mahajan
एहसास
एहसास
भरत कुमार सोलंकी
कचनार kachanar
कचनार kachanar
Mohan Pandey
वक्त
वक्त
Prachi Verma
Stop chasing people who are fine with losing you.
Stop chasing people who are fine with losing you.
पूर्वार्थ
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
क्षणिका  ...
क्षणिका ...
sushil sarna
" जब तक आप लोग पढोगे नहीं, तो जानोगे कैसे,
शेखर सिंह
दहकता सूरज
दहकता सूरज
Shweta Soni
अजब-गजब
अजब-गजब
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
Rj Anand Prajapati
सूर्य देव
सूर्य देव
Bodhisatva kastooriya
उफ़  ये लम्हा चाय का ख्यालों में तुम हो सामने
उफ़ ये लम्हा चाय का ख्यालों में तुम हो सामने
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Ram Krishan Rastogi
Loading...