ऐ मेरे हुस्न के सरकार जुदा मत होना
दिल तुम्हारा है तलबगार जुदा मत होना
चाहे जितनी भीहो तक़रार जुदा मत होना
मेरे इस दिल की सदा सुन के चले आना तुम
चाहे दुनिया की हो दीवार जुदा मत होना
डूब जाए न कहीं ग़म के भँवर में हमदम
मेरी कश्ती की हो पतवार जुदा मत होना
इश्क़ ज़िंदा है मेरा यार तुम्हारे दम से
ऐ मेरे हुस्न के सरकार जुदा मत होना
तुम जो रूठे तो मेरी जीस्त रूठ जाएगी
चाहे कर लेना सितम यार जुदा मत होना
दूर रह कर न कभी तुमसे मैं जी पाऊँगा
कह रहा है दिले बीमार जुदा मत होना
आज जो चाहे कसम ले लो रहूँगा प्रीतम
उम्र भर बन के वफ़ादार जुदा मत होना
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)