ऐ मातृभूमि ! तुम्हें शत-शत नमन
ऐ मातृभूमि !
तुम्हें मेरा शत-शत बार नमन है।
तेरे दिए हुए संस्कारो से ही
आज यहाँ अमन है।
तुझसे बढ़कर हमारे लिए
कोई नही बड़ा धन है।
तू हमारे जीवन की
सबसे अनमोल रत्न है।
तेरे लिए ऐ मातृभूमि,
मेरा तन-मन-धन
सब सदा अर्पण है।
तेरे लिए मेरे खून का
एक-एक कतरा समर्पित है।
तेरे इस माटी ने कितने ही
वीरों को दिया जन्म है।
जिनकी वीरता की दुनियाँ
करती श्रद्धा से नमन है।
इस भूमि में जन्म लेकर
ईश्वर ने भी किया तेरा वंदन है।
जहाँ बार-बार ईश्वर भी आकर
देते जन-जन को दर्शन है।
जहाँ कण-कण में प्रेम बरसता है,
तू वह प्यारा चमन है।
जहाँ हर तरह के फूल हैं,
तू वह सुन्दर उपवन है।
सारी दुनिया किया भ्रमण ,
पर दिखा नही तेरे जैसा कोई,
तू वह प्यारा वतन है।
तू हम सब की जान है,
तू हम सब की मन है।
तेरे शुभ चरणों में करती हूँ मै
अर्पित श्रद्धा-सुमन है।
देखेगा अगर तुम्हारी तरफ
कोई भी बूरी नजर से,
मिटा देंगें उसका नामोनिशान,
यह हमारा वचन है।
तुझपर आँच नही आने देंगे ,
चाहे इसके लिए पहनना पड़े
हमें क्यों नहीं कफन है।
ऐ मातृभूमि!
तूझे मेरा बारम्बार नमन है।
अनामिका