*ऐ बेअदबों ये कैसी खुशीहै*
किसी के जाने की ख़ुशी है किसी के आने की खुशी है
आना-जाना दस्तूर दुनियां फिर क्यों अनजानी खुशी है बनते हैं जाने- अनजाने दोस्त- दुश्मन दुनियां में कितने आये मर्जी-दुनियां-अपनी?ऐ बेअदबों ये कैसी खुशीहै।।
मधुप बैरागी