ऐ खुदा
आह! गम का आज जो हलचल मचा है।
जिंदगी में दर्द तुम ने ही रचा है।
अब नजर आती नहीं है राह कोई-
ऐ खुदा तेरा सहारा ही बचा है।
हर खुशी पर आँसुओं की, आज यह कैसी लड़ी।
धैर्य खोता जा रहा है, है मुसीबत की घड़ी।
राह दिखती है नहीं कुछ, क्या कहूँ इस हाल में-
दर्द की रातें न जाने, क्यों लगें लम्बी बड़ी।
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’