ऐ खुदा काश के मैं पागल होता,
ऐ खुदा काश के मैं पागल होता,
उनकी रहनुमाई की जरूरत न होती।
न होती आरजू किसी भी शोहरत की,
खुले आसमान के नीचे बे तकल्लुफ सोता।
ऐ खुदा काश के मैं पागल होता…
श्याम सांवरा…
ऐ खुदा काश के मैं पागल होता,
उनकी रहनुमाई की जरूरत न होती।
न होती आरजू किसी भी शोहरत की,
खुले आसमान के नीचे बे तकल्लुफ सोता।
ऐ खुदा काश के मैं पागल होता…
श्याम सांवरा…