#ऐसे_समझिए…
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■ बदली दुनिया का दृष्टिकोण
कुछ साल पहले तक किसी परीक्षा में 60 प्रतिशत अंक पा कर प्रथम श्रेणी अर्जित करना गर्व की बात होता था। आज 99 फ़ीसदी अंक हासिल करने के बाद भी 1 प्रतिशत की कसर पर मलाल की स्थिति बन जाती है। यह सच आज शिक्षा ही नहीं जीवन के हर क्षेत्र में लागू है। अब इसे गला-काट प्रतिस्पर्धा कहें, अंधी होड़ या फिर अति महत्वाकांक्षा, सच यही है। ऐसे में छोटी-छोटी मिसालें का भला क्या मोल…?
■प्रणय प्रभात■