Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2022 · 4 min read

ऐसे होते है संस्कार

ऐसे होते है संस्कार

एक परिवार में तीन भाई और एक बहन थी…बड़ा और छोटा बेटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके माँ बाप तो उन चारों से बेहद प्यार करते थे , मगर मझले बेटे से थोड़ा परेशान भी थे।
बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया।
छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया।
मगर मझला बिल्कुल अनपढ बनकर ही रह गया।
सबसे बड़े बेटे और सबसे छोटी बेटे की शादी भी हो गई । और बहन ने Love मैरीज कर ली।
बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी।
आखीर उसके दो भाई डाक्टर इंजीनियर जो थे।

लेकिन मझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी और उम्र भी अधिक होने से माँ बाप भी परेशान रहते थे ।

बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भाई से मिलती।
मगर मझले से कम ही मिलती थी। क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था।
वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था। पढ़ नहीं सका तो…अच्छी नौकरी कौन देता।

एक दिन मझले की शादी करे बिना पिताजी गुजर गये ।
माँ ने सोचा बच्चों में कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए जल्दी में पास ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी।

शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मझला बड़े लगन से काम करने लगा ।
दोस्तों ने कहा… ए चन्दू आज शाम को अड्डे पे आना।
चंदू – नहीं अब कभी अड्डे पर नहीं जाऊंगा।
दोस्त – अरे तू शादी के बाद तो जैसे बीबी का गुलाम ही हो गया?
चंदू – अरे ऐसी बात नहीं । कल मैं अकेला एक पेट था तो अपने हिस्से की रोटी कमा लेता था। आज दो पेट है , और कल चार पेट हो सकते हैं।
घरवाले मुझे नालायक कहते रहते हैं, मेरे लिए कहते हैं चलता था।
मगर मेरी पत्नी को कभी नालायक कहे तो वो मेरी मर्दानगी पर एक भद्दी गाली है।

क्योंकि एक पत्नी के लिए उसका पति, उसकी इज्जत और उम्मीद होता है।
उसके घरवालों ने भी तो मुझपर भरोसा करके ही तो अपनी बेटी दी होगी…फिर उनका भरोसा कैसे तोड़ सकता हूँ ।

दोस्तों, कालेज में केवल डिग्री मिलती है लेकिन ऐसे संस्कार तो माँ-बाप से ही मिलते हैं जो मझले बेटे में थे।

इधर घर पर बड़ा और छोटा भाई और उनकी पत्नी मिलकर आपस मे फैसला करते हैं की…जायदाद का बंटवारा हो जाये क्योंकि हम दोनों लाखों कमाते है मगर मझला ना के बराबर कमाता है।
लेकिन मां मन-ही-मन मझले बेटे से बहुत प्यार करती थी ,और उसकी बहुत देखभाल भी करती थी इसलिए वह बंटवारा नहीं चाहती थी।
उसने बंटवारे के लिए दोनों बेटों को मना भी किया।

लेकिन मां के लाख मना करने पर भी…बंटवारे की तारीख तय होती है।
बहन भी आ जाती है मगर चंदू है की काम पे जाने के लिए बाहर आता है। उसके दोनों भाई उसको पकड़कर भीतर लाकर बोलते हैं की आज तो रूकना ही पड़ेगा ? आज बंटवारा कर ही लेते हैं । ओर वकील भी कहता है सबको साईन करना पड़ता है।

चंदू – ठीक है तुम लोग बंटवारा करो मेरे हिस्से मे जो समझ पडे दे देना। मैं शाम को आकर अपना बड़ा सा अगूंठा चिपका दूंगा पेपर पर।

बहन- अरे बेवकूफ …तू गंवार का गंवार ही रहेगा।
तेरी किस्मत अच्छी है की तुम्हे इतने अच्छे भाई मिले हैं।

मां- अरे चंदू आज रूक जा।
बंटवारे में कुल बीस बीघा जमीन में दोनों भाई दस दस बीघा जमीन रख लेते हैं ।
और चंदू को पुस्तैनी पुराना घर छोड़ देते है ।
तभी चंदू जोर से चिल्लाता है।
अरे???? फिर हमारी छुटकी का हिस्सा कौन सा है?
दोनों भाई हंसकर बोलते हैं
अरे मूर्ख…बंटवारा भाईयों में होता है और बहनों के हिस्से मे सिर्फ उसका मायका ही होता है।

चंदू – ओह… शायद पढ़ा लिखा न होना भी मूर्खता ही है।
ठीक है आप दोनों ऐसा करो-
मेरे हिस्से की वसीएत मेरी बहन छुटकी के नाम कर दो।
दोनों भाई चकीत होकर बोलते हैं ।
और तू?
चंदू मां की और देखकर मुस्कुराके बोलता है

मेरे हिस्से में माँ है न……

फिर अपनी पत्नी की ओर देखकर बोलता है..मुस्कुराते हुए सुनो ….क्या मैंने गलत कहा?

नहीं जी, अपनी सास से लिपटकर कहती है इससे बड़ी दौलत क्या होगी मेरे लिए की मुझे माँ जैसी सासु मिली ।
बस ये ही शब्द थे जो बँटवारे को सन्नाटे मे बदल गये ।
बहन दौड़कर अपने गंवार भैया से गले लगकर रोते हुए कहती है की..मांफ कर दो भैया मुझे, क्योंकि मैं समझ न सकी आपको।

चंदू – इस घर मे तेरा भी उतना ही अधिकार है जीतना हम सभी का।

मेरे लिए तुम सब बहुत अजीज हो, चाहे पास रहो या दूर।
माँ का चुनाव इसलिए किया ताकी तुम सब हमेशा मुझे याद आओ।
क्योंकि ये वही कोख है जंहा हमने बारी बारी 9 – 9 महीने गुजारे। मां के साथ साथ तुम्हारी यादों को भी मैं रख रहा हूँ।
दोनों भाई दौड़कर मझले से गले मिलकर रोते रोते कहते हैं ,आज तो तूं सचमुच का बाबूजी लग रहा है।
सबकी आखोँ में आंसू बह रहे थे।
सब ने बंटवारे का फैसला त्याग दिया और सब एक साथ ही रहने लगते हैं
दीपाली कालरा नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 327 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*Loving Beyond Religion*
*Loving Beyond Religion*
Poonam Matia
महान लोग साधारण लोग होते हैं ।
महान लोग साधारण लोग होते हैं ।
P S Dhami
"सिलसिला"
Dr. Kishan tandon kranti
When conversations occur through quiet eyes,
When conversations occur through quiet eyes,
पूर्वार्थ
2999.*पूर्णिका*
2999.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सबको
सबको
Rajesh vyas
सच्ची लगन
सच्ची लगन
Krishna Manshi
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
Kshma Urmila
तेरे दर पे आये है दूर से हम
तेरे दर पे आये है दूर से हम
shabina. Naaz
"यादें और मैं"
Neeraj kumar Soni
सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
सहचार्य संभूत रस = किसी के साथ रहते रहते आपको उनसे प्रेम हो
राज वीर शर्मा
तेरी जुस्तुजू
तेरी जुस्तुजू
Shyam Sundar Subramanian
"अगली राखी आऊंगा"
Lohit Tamta
आप हमें याद आ गएँ नई ग़ज़ल लेखक विनीत सिंह शायर
आप हमें याद आ गएँ नई ग़ज़ल लेखक विनीत सिंह शायर
Vinit kumar
मोनू बंदर का बदला
मोनू बंदर का बदला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वक्त निकल जाने के बाद.....
वक्त निकल जाने के बाद.....
ओसमणी साहू 'ओश'
लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से
gurudeenverma198
पल पल रंग बदलती है दुनिया
पल पल रंग बदलती है दुनिया
Ranjeet kumar patre
*गाओ हर्ष विभोर हो, आया फागुन माह (कुंडलिया)
*गाओ हर्ष विभोर हो, आया फागुन माह (कुंडलिया)
Ravi Prakash
🌸साहस 🌸
🌸साहस 🌸
Mahima shukla
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
कारगिल विजयदिवस मना रहे हैं
Sonam Puneet Dubey
मेरे जैसे तमाम
मेरे जैसे तमाम "fools" को "अप्रैल फूल" मुबारक।
*प्रणय*
जीवन में कितना ही धन -धन कर ले मनवा किंतु शौक़ पत्रिका में न
जीवन में कितना ही धन -धन कर ले मनवा किंतु शौक़ पत्रिका में न
Neelam Sharma
कभी कभी चाह होती है
कभी कभी चाह होती है
हिमांशु Kulshrestha
देखा
देखा
sushil sarna
भीगी पलकें...
भीगी पलकें...
Naushaba Suriya
मल्हारी गीत
मल्हारी गीत "बरसी बदरी मेघा गरजे खुश हो गये किसान।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
ईमानदारी
ईमानदारी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जरूरी और जरूरत
जरूरी और जरूरत
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
गिरगिट रंग बदलने लगे हैं
गिरगिट रंग बदलने लगे हैं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...