ऐसे हंसते रहो(14 नवम्बर बाल दिवस पर)
ऐसे हंसते रहो , यूँ हंसाते रहो ।
गुनगुनाते रहो , गीत गाते रहो ।।
अच्छा लगता है, दिल भी लगता है ।
तुम जो हंसते हो , गम भी मिटता है ।।
ऐसे हंसते रहो —————————–।
यह गुलशन हंसा है , तुम्हे देखकर ।
आसमां भी झुका है , तुम्हे देखकर ।।
ये चली है बहारें , तुम्हे देखकर ।
यह हुआ है सवेरा , तुम्हे देखकर ।।
ऐसे खिलते रहो ,यूँ मचलते रहो ।
अच्छा लगता है , दिल भी लगता है ।।
तुम जो हंसते हो , गम भी मिटता है ।
ऐसे हंसते रहो —————————-।।
आने वाले कल की, तुम तस्वीर हो ।
इस वतन की नयी तुम, तकदीर हो ।।
मोड़ दे जो राह , बहते नीर की ।
चीर दे जो पहाड़ , तुम वो वीर हो ।।
मुस्कराते हुए ऐसे बढ़ते रहो ।
अच्छा लगता है , दिल भी लगता है ।।
तुम जो हंसते हो , गम भी मिटता है ।
ऐसे हंसते रहो ————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847