ऐसी बातें जो पालकों को अपने बच्चों से कभी नहीं कहनी चाहिए
नमस्कार माननीय पाठकों ।
मेरा यह मानना है कि सभी माता-पिता अपने बच्चों का पालन-पोषण करने के साथ ही इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि उनका बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त कर एक काबिल इंसान बन सके ।
माता-पिता की जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा पाना संभवत: इस दुनिया का सबसे कठिन काम है, ऐसा माना जाता है और मैंने पढ़ा भी है, पर मेरी नजर में ऐसा नहीं है क्यों कि आपने पाठकों यह तो सुना ही होगा कि “मुश्किल नहीं है गर ठान लीजिए” हम यदि अपने बच्चों के स्वभाव को बचपन से ही पहचानते हुए उन्हें वैसे ही प्यार से समझाया जाय तो वे बिल्कुल समझने का प्रयास करेंगे ।
छोटे बच्चे बोलें तो किसी के भी हों बहुत ही कोमल होतें हैं, जैसे हम एक पौधे को सींचते हैं तो वह धीरे-धीरे बड़ा होता है और फिर फल-फूल के रूप में सफलता हासिल होती है । ठीक ऐसे ही फूल से बच्चों को माता-पिता बचपन से ही उनके व्यवहार को समझते हुए प्यार से सही-गलत का ज्ञान कराते हुए संस्कार प्रदान करें क्योंकि प्रथम चरण की शिक्षा घर से ही प्रारंभ होती है। । मैं मानती हूं कि आज की पीढ़ी के बेटे-बेटी थोड़े शरारती होते हैं पर हम उन्हें अपनी तरह से ज्ञानवर्द्धक कहानियां सुनाकर उन्हें प्रेरित करते हुए सिखाया जा सकता है ।
आजकल तो बच्चों को तीन वर्ष से ही स्कूल में प्रवेश दिलाया जाता है और शैक्षणिक शिक्षा भी शुरू हो जाती है, बिचारे ठीक से बड़े भी नहीं हो पाते और ना ही उतनी समझ होती है । आजकल अधिकतर माता-पिता कामकाजी होने के कारण अपने बच्चों को समय भी कम ही दे पाते हैं और मैं आपको बताऊं पुणे, मुंबई और बेंगलूर जैसे स्थानों पर एक तो ट्राफिक जाम अक्सर देखा गया है तो सुबह से माता-पिता ड्यूटी पर जाते हैं और सीधे शाम को घर पहुंचते हैं । यहां तक कि कभी-कभी बच्चे माता-पिता से मिल भी नहीं पाते हैं और या तो वे आया के भरोसे या दादा-दादी और नाना-नानी के साथ ही रहते हैं । फिर बिचारे बच्चे माता-पिता के प्यार से वैसे ही वंचित रहते हैं तो माता-पिता अपनी-अपनी स्थितियों के हिसाब से सामंजस्य स्थापित करते हुए बच्चों को अच्छे आचरण वाले सदव्यवहार सिखाने की कोशिशें करें ।
लेकिन फिर भी कई बार बच्चों को ये लगने लगता है कि उनके माता-पिता को तो उनके लिए समय ही नहीं है, और जब माता-पिता मिलते हैं तो उन्हें लगता है कि केवल अब उनकी ही सुनेंगे और बच्चे को प्यार देने के साथ ही कई बार वे जिद्दी हो जाते हैं और मार भी खाते हैं, जिसका परिणाम गलत हो सकता है और जैसा कि हम देख रहे हैं कि गुस्से में आकर कई बार गलत कदम भी उठा लेते हैं । ऐसी स्थिति निर्मित ना हो इसके लिए माता-पिता का बच्चों के साथ थोड़ा सख्त व्यवहार करना भी जरूरी है, लेकिन उससे पूर्व कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जिन्हें कभी भी अपने बच्चे से नहीं कहना चाहिए, चलिए जान लेते हैं कि वह बातें कौन-कौन सी है ।
बच्चे से भूलकर भी न कहें ये बातें
1. कभी भी अपने बच्चे के साथ स्वयं की तुलना मत कीजिए । जैसे जब मैं तुम्हारे जितना था तो तुमसे लाख गुना अधिक जिम्मेदार था और हमारे माता-पिता को हमारे कारण कोई परेशानी नहीं हुई । अपने आप से अपने बच्चे की तुलना करना बहुत गलत बात है । बात-बात पर अपने बच्चे की तुलना करना सही नहीं है । इससे उसका मनोबल और आत्मविश्वास तो कम होगा ही और उसे आप ही उसके सबसे बड़े दुश्मन नजर आने लगेंगे ।
2. माता-पिता द्वारा अपने बच्चे को उसकी गलतियों पर बार-बार टोकना सही है, लेकिन उससे ये कभी न कहें कि वो जो कुछ भी करता है या करती है गलत ही होता है । तुम्हारा हर फैसला गलत होता हैै, ऐसा कहने पर वो आपसे बातें छिपाने लगेगा या फिर झूठ बोलना शुरू कर देगा ।
3. कभी भी माता-पिता को अपने बच्चे की तुलना उसी के छोटे या बड़े भाई-बहन से करना नहीं करना चाहिए । अक्सर देखा गया है कि बच्चे से बोला जाता है कि तुम अपने भाई-बहन जैसे क्यों नहीं हो? ऐसा कहने से बच्चा अपने ही भाई-बहन को अपना दुश्मन समझना शुरू कर देगा । हर बच्चे में अलग-अलग काबिलियत होती है तो कभी भी अपने बच्चों के साथ तुलना नहीं करना चाहिए । आप यही देखिए क्या हमारे हाथों की पांचों उंगलियां बराबर हैं ? नहीं ना फिर बच्चे कैसे एक जैसे हो सकते हैं ? बताईए ।
4. यदि आपका बच्चा आपका कहना नहीं मानता है, तो माता-पिता को भूलकर भी अपने बच्चे से ये नहीं कहना चाहिए कि मुझे अकेला छोड़ दो । आपके ऐसा कहने पर वो खुद को उपेक्षित महसूस कर सकता है या ये भी हो सकता है कि वो डिप्रेशन में चला जाए । उसे लगेगा कि कोई भी उसकी बात सुनने वाला नहीं है ।
5. कभी भी माता-पिता को अपने बच्चे से यह भी नहीं कहना चाहिए कि हमें तुम्हारी वजह से शर्मिंदा होना पड़ा । आपके द्वारा कहा गया ये वाक्य आपके बच्चे के आत्म-सम्मान को तो ठेस पहुंचा सकता है साथ ही वो डिप्रेशन में भी जा सकता है ।
6. हर बच्चे के लिए उसके दोस्त बहुत खास होते हैं. ऐसे में अगर आप किसी बच्चे से ये कहते हैं कि उसके दोस्त खराब हैं और उसे उनके साथ रहना छोड़ देना चाहिए तो आपकी ये बात बच्चे को दुखी कर सकती है. माता-पिता भूलकर भी अपने बच्चे से अपने दोस्तों का साथ छोड़ दो , ऐसा ना कहें तो अच्छा है ।
7. माता-पिता को अपने बच्चे को किसी भी तरह का प्रलोभन नहीं देना चाहिए कि उनसे यह कहना कि तुम ऐसा करोगे या अच्छे नंबर लाओगे तो तुम्हें उपहार दिया जाएगा, यह ठीक नहीं होगा आगे चलकर उसकी आदत हो जायेगी । बच्चे को प्रलोभन के माध्यम से नहीं अपने मन से कोई कार्य करने दिजीये ।
8. माता-पिता को अपने बच्चे को किसी भी प्रकार से डराने धमकाने वाले बातें भी नहीं कहना चाहिए कि तुमने यह माना नहीं तो तुम्हें सजा मिलेगी, ऐसा कहने से वह आपके डर से अकेले में कुछ भी कर सकता है ।
यह तो हो गयी मुख्य बातें, इन सबमें मेरा मानना है कि माता-पिता स्वयं कुछ अपने में भी परिवर्तन लाने की कोशिश करें कि अपने बच्चे को किस प्रकार विकसित करना हैं, सोचें और फिर वैसी शिक्षा देने का प्रयास करें । बच्चे जो जीवन में देखते हैं वहीं सीखते हैं तो आप अपने से शुरू करें , जैसे उदाहरण के लिए आप ही मोबाइल फोन का उपयोग अधिक करेंगे तो आपकी देखा-देखी बच्चा अवश्य ही करेगा । आप जिस वातावरण में रहते हैं बच्चे को वैसी ही आदतें लगती हैं, अतः अकेले बच्चे को दोष ना देकर स्वयं में भी परिवर्तन लाने की कोशिश करें । मेरा मानना है कि हम दूसरों से जो अपेक्षाएं रखते हैं तो अपना मूल्यांकन पहले करें कि हम भी वास्तव में हैं क्या वैसे, फिर हम बिचारे बच्चे से बिल्कुल खरे उतरने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं ? हम तो बच्चे को बस सही राह बता सकते हैं ताकि वह अपनी जिंदगी में एक काबिल इंसान बन सके ।
” बच्चे छोटे रहते हैं तो शरारतें करते ही हैं” फिर हम कहते भी हैं बच्चे शरारतें और मस्ती नहीं करेंगे तो क्या बड़े करेंगे । धीरे-धीरे बच्चे अपने बचपन की दुनिया से बाहर निकलकर बड़े होते हैं और उम्र के साथ साथ सब समझने लगते हैं ।
फिर पाठकों कैसा लगा मेरा लेख, बताइएगा जरूर, मुझे आपकी आख्या का इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद आपका ।