ऐसी दिवाली कभी न देखी
ऐसी दीवाली न कभी देखी, ना कभी कल्पना ही की ।
कभी लगता है कोई भयानक सपना तो नहीं चल रहा, अभी नींद टूटेगी और हम चैन की सांस लेंगे।
एक अक्टूबर से आज एक महीना बीतने को है ,पर ऐसा लगता है रात खत्म होने का नाम नहीं ले रही ।
बुरा सपना समाप्त नही हो रहा ।
कोई जो घर से निकली थी , एक माह पहले ,वो कही चली गई है और अभी लौट आएगी दरवाजे पर वही मुस्कान लिए दस्तक देगी और ये काली रात का अंत होगा।
रोज रात को यही स्वप्न आता है वो की वापिस आ गई कहीं से, ईश्वर हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकता ,इतना बुरा …क्या बिगाड़ा हमने किसी का ।
किस बात की सजा । किस बात का बदला ।
एक दिन ऐसा नहीं गया जिस दिन मेरे मां पिताजी ने आंसू न बहाए हो । यूं महसूस होता है की कही गई है मेरी बहन और अभी वापिस आएगी ।
घर से निकली ही तो आने के लिए थी। रोज आ जाती थी शाम होने पर।
आखिर वो कोन सी शाम होगी जब लौटेगी वो ।
कब आएगी ? कब मिलेगी हमे वापिस ? कब सब पहले जैसा होगा ? कब हम फिर से साथ होंगे ?
दीवाली ,होली, राखी क्या किसी भी त्योहार पर मिलने नही आएगी वो? हमारी फेवरेट वेबसीरीज का अगला सीजन अब अकेले ही निपटाएगी; साथ रहने में कौन सा बैर था? एक साथ खाते , हंसते ,रोते , लड़ते , बात न करते,फिर भी साथ तो होते ।
क्यों जाना जरूरी था ? क्यों.. ?
घर का आंगन आज उसे याद करता है । किसी ने रंगोली नही बनाई। किसी ने दिया नही जलाया ।
न किसी ने पूजा की। मम्मी पापा ने खाना नही खाया,दिन भर इस कोने से उस कोने में बैठ बैठ कर रोती रहती है और वो ये सब देख रही है, लेकिन वापिस आने का नाम नहीं लेती।
अपना प्रोमिस भूल गई तुम, क्या कहा था पिछले साल ,नीरज चोपड़ा ने दो बार ओलंपिक मेडल जीत लिए पर अपना आज तक कुछ भी नही हुआ, ये बोलकर कितना हंसे थे न।
हम परेशान थे , पर खुश थे ।
भगवान और परेशान कर लेता और गरीबी देता पर साथ तो रहते हम।
जल गया था क्या हमारी खुशियों से ? कि केसे ये लोग इतने अभावों में भी खुशी ढूंढ लेते है । उसे रास नहीं आई हमारी खुशियां।
भगवान तूने कभी भी तो कुछ अच्छा नही किया हमारे साथ ,पर हमने कभी नही कोसा तुझे।
पर आज लगता है तू कोसने के लिए ही है पापी । तू बैरी है । शत्रु है।
ऐसा अनर्थ न करता।
जो मौत मांग रहे है उनको मौत नही देता , और जहां मेहनत का फल देना चाहिए वहा उल्टा छीन लेता है।
तू अगर इंसान होता तो मैं तुझे कहती की तू भी हमेशा दुखी रहेगा ।तू भी ऐसे ही तड़पेगा । तू हमारी जगह आज खुद को रख कर देख , तब तुझे हमारी पीड़ा महसूस होगी और अपनी करनी का अहसास भी होगा।
बैरी है तू , उलटे हिसाब किताब है तेरे , अंधा है तेरा न्याय ।
तुझे जितना कोस सकती हूं कोसूंगी और तू वापिस नही दे सकता न हमारा हिस्सा हमको तो तुझे सुनना ही होगा, बहुत अनहोनी कर दी है तूने।
उस पीड़ा का हिसाब भी तुझे देना होगा जो आधे घंटे तक मेरी बहन ने सही है, जो कभी किसी जीव जंतु को भी दुखी देखती तो रो पड़ती थी।
जिसने अपने जीवन में एक मच्छर भी न मारा हो कैसे तूने उसे इतना कष्ट दिया …की कोई गाड़ी उसके ऊपर से गुजार दी तूने.. लहूलुहान कर दिया , इतना कष्ट..!
कितना दर्द सहा होगा उसने , जिसने कभी किसी को कष्ट देने का विचार भी नही किया ।
अरे ! थोड़ी भी दया नही है क्या तुझमें …निष्ठुर! काश कोई तेरे ऊपर से भी ऐसे ही गाड़ी के पहिए गुजारे और तू सड़क पर तिलमिलाता रहे , और तेरी मृत्यु हो जाए ।
काश तू एक बार इंसान बन कर आए मेरे सामने तो मैं तुझे अहसास दिलाऊं की तू जो बड़ा भगवान बना फिरता है , जब ऐसे कृत्य करता है तो तेरा ओछापन झलकता है ,तेरी क्षुद्रता प्रकट होती है, किसी का दोष नही , दोष एक तेरा है, तुझे शायद अहसास नही की तू ऊपर बैठ कर क्या कर रहा है।
तू भी ऐसे ही तड़पेगा,कभी खुश नहीं रहेगा ,हमारी आह लगेगी तुझको और हमे तो अब कुछ भी मिले , हमारे नुकसान की कभी भरपाई नहीं होगी ,न कभी कुछ ठीक होगा , और न कभी वापिस वैसी खुशी मिलेगी, तूने जो छीन लिया है वो इतना कीमती है की जीवन सूना है हमारा।
ये दिन दिखाने के लिए तुझे जितना कोसा जाए आज कम ही है।