ऐसा भी होता है
हम गांव मे आसपास एक दूसरे को जानते हैं लेकिन उनमें कुछ खास दोस्त होते हैं और हम मोहल्ले या पड़ोस के सभी एक दोस्त जैसे ही होते हैं लेकिन सब दोस्त जैसे नहीं होते हैं शुभम और श्याम गांव के ही दोस्त हैं जो पडोस में रहते हैं शुभम शाम के साथ नही पढ़ा था लेकिन श्याम और शुभम के घर ज्यादा दूर नहीं होने की वजह से एक दूसरे को जानते हैं लेकिन जब इंसान कुछ समय से एक साथ रहने लगते हैं तो उनमे अच्छी दोस्ती हो जाती है और वह धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती है। श्याम और शुभम अपनी बात एक दूसरे से शेयर करने लगते है और दोनों मे दोस्त हो जाती है। श्याम अभी नौकरी की तलाश में था। क्योंकि अभी उसकी 12th क्लास पास हुई थी। अभी उसकी उम्र भी नहीं हुई थी लेकिन शुभम की नौकरी लग चुकी थी इस प्रकार श्याम पोस्ट ग्रेजुएट हो जाता और नौकरी की तलाश कर रहा होता है लेकिन बहुत समय गुजर जाता है और श्याम को कोई नौकरी नहीं मिलती है वह गांव में ही घर के कार्य में लगा रहता है। जिससे उसके दोस्तों में उसकी वैल्यू या अहमियत कम हो जाती है जो पहले होती है अब नहीं रहती ।
श्याम को शुभम तब मिलता है। जब श्याम को नौकरी की तलाश थी नौकरी ढूँढने की शुरुआत ही की थी।
एक दिन शुभम ने शाम से कहा – श्याम तुम्हारी अच्छी नौकरी लगेगी ।
श्याम कहता है – भाई मेहनत तो कर रहे हैं और समय बताएगा कि क्या होता है। धीरे-धीरे बहुत समय बीत जाता है और शाम की नौकरी नहीं लगती है।अब शुभम की शादी हो जाती है और कुछ समय बाद मौहल्ले के एक लड़के की नौकरी लग जाती है । जो श्याम का दोस्त होता है। जो शुभम को भी जानता था लेकिन वह शुभम का दोस्त नहीं था । लेकिन एक दो बार उससे मिला मोहल्ले पड़ोस की बात होती है तो एक दूसरे को सब जानते हैं। वह भी उसे जानता था।जिसका नाम अरूण है। एक दिन मिलने पर शुभम ने अरुण से कहा भाई अरूण मेरी वाइफ तुमसे मिलना चाहती है। तुम एक बार घर पर आना ।
अरुण ने कहा -वह मुझे कैसे जानती है।
शुभम ने कहा – मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में बताया कि मेरा एक दोस्त है जिसकी नौकरी अभी लगी है। इसलिए भाई वह तुमसे मिलना चाहती है। शाम को घर पर आ जाना।
अरुण कहता है- ठीक है भाई मैं आ जाऊं।
शुभम जब यह बात कहता है। श्याम भी उनके साथ होता है। श्याम सोचता है कि उसने हमे अपनी शादी में भी नहीं बुलाया। आखिर हम तो उसके दोस्त थे और जो उसका दोस्त नहीं है। जिसे वह कुछ ही दिनों से जानता है या कुछ ही दिनो से दोस्त बना है। उसे वह अपनी वाइफ से मिलाता है कि यह मेरा दोस्त है यह बताकर कि उसकी अभी नौकरी लगी है।
यह समझ नही आया कि वह उसे दोस्ती की वजह से अपनी पत्नी से मिला रहा था या दोस्ती की वजह से।
दुनिया में ऐसा भी होता है। लेकिन उनमें दोस्ती वाला कुछ नहीं होता है जो कहने को दोस्त होते हैं लेकिन वास्तव में वह दोस्त नहीं होते जो इंसान अपने दोस्त का परिचय अपने परिवार से नौकरी के लिए कराते है।ना कि आम इंसान होने की वजह से कराते है। वह एक दोस्त नहीं हो सकता जो दोस्ती को उसकी कामयाबी के साथ जोडता है।
श्याम का एक सहपाठी है। जिसकी शादी हो चुकी है। उसके दो बच्चे हैं। जिस हालत में श्याम को कोई नहीं पूछ रहा था। जिसके साथ ज्यादा समय गुजारा उनके दिल में कोई अहमियत नहीं लेकिन जिसके साथ इतना समय नहीं गुजारा जो एक सहपाठी रहा उसने शाम को इतनी वैल्यू दी जिसकी श्याम को यह उम्मीद भी नहीं थी कि श्याम का सहपाठी उसे अपने परिवार से मिलवाता है और वह कहता है यह मेरा सहपाठी है हम साथ पढ़ें है। वैसे ये एक साधारण सी बात है।
अब समझ आया कि हमारी अहमियत दूसरों की नजरों में हमेशा वही होती है जो शुरुआत में होती है।वह साथ रहने से कभी नहीं बढ़ती है ना हीं कम होती है। वह चाहे कैसा भी इंसान या दोस्त रहा हो।
दूसरों के लिए वह चाहे कुछ भी हो उसके लिए आज उसकी वैल्यू अधिक है।
उस दोस्त से जो दोस्त को नही नौकरी को अहमियत देता हो।
swami ganganiya