ऐसा फँसा रमेश
इत देखूंँ परिवार या, उत देखूँ मै देश !
जीवन के बाजार मे,ऐसा फँसा रमेश ! !
पिछड़ेपन की देश मे,ऐसी चली बयार !
लगी हुई है होड़ सी , बनने की लाचार !!
रमेश शर्मा
इत देखूंँ परिवार या, उत देखूँ मै देश !
जीवन के बाजार मे,ऐसा फँसा रमेश ! !
पिछड़ेपन की देश मे,ऐसी चली बयार !
लगी हुई है होड़ सी , बनने की लाचार !!
रमेश शर्मा