ऐंठे- ऐंठे चल रहे, आज काग सर्वत्र । ऐंठे- ऐंठे चल रहे, आज काग सर्वत्र । पितर पक्ष में काग के, बदल गए नक्षत्र ।। सुशील सरना / 22-9-24