ए मेरे दोस्तों, तुम सलामत रहो।
ए मेरे दोस्तों, तुम सलामत रहो
तुम सलामत रहो, तुम सलामत रहो।
सोचते हैं कि हम कितना हैरान थे।
अपने ही ज़िन्दगी से परेशान थे।
तेरे आने से सब कुछ मुकम्मल हुआ,
रास्ते मंजिलों के जो वीरान थे।
तुम मेरे वास्ते वो क़यादत रहो।
तुम सलामत रहो, तुम सलामत रहो।
तुम जहाँ भी रहो तुम सलामत रहो।
सच की आवाज हक़ की अलामत रहो।
अपने रब से दुआओं मांगा यही,
तुम सलामत रहो ता क़यामत रहो।
हर बालाओ से हरदम हिफाजत रहो।
तुम सलामत रहो, तुम सलामत रहो।
ए मेरे दोस्तों तुम सलामत रहो।
तुम सलामत रहो, तुम सलामत रहो।
✍️ शाह आलम हिन्दुस्तानी