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7 Jul 2024 · 1 min read

एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,

एसी कहाँ किस्मत कि नसीबों में शिफा हो,
राहत जो नहीं रोग से गर फिर तो कज़ा हो।
मैं जानता हूँ ये जो शब-ए-ग़म की कसक है,
है चाह तुझे भी ज़रा ये दर्द पता हो।

शिफा- इलाज
कज़ा- मृत्यु
शब-ए-ग़म- दुख की रात

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