Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jan 2017 · 2 min read

एवरी डे इस रेस डे

IsEveryday a race day?

Every day is a race day.शायद किसी बाइक के विज्ञापन पोस्टर पर लिखा था,एक बाइक कंपनी के लिए भले ही ये पंक्तियां बाइक की खूबियों को दिखाने वाली हों पर अगर आज की ज़िंदगी के संदर्भ में इस पर विचार किया जाये तो लगता है कि जैसे ये आज के इंसानी जीवन को विश्लेषित करना चाह रही हों।हम हर पल रेस ही तो लगाते हैं, कभी अपनी इच्छाओं से,कभी अपनी महत्वाकांक्षाओं से तो कभी आस-पास के लोगों से।हर नया दिन हमारे मन में यही विचार लेकर आता है कि आज हम अपनी अमुक इच्छा पूरी करेंगे।पर जैसे ही हम अपनी एक इच्छा पूरी करते हैं कि दूसरी इच्छा उत्पन्न होकर हमें अपने पीछे भगाने लगती है।और हम इस रेस में इस कदर शामिल हो जाते हैं कि रास्ते में आने वाले खूबसूरत नजारों की तरफ नज़र तक नहीं उठा पाते।
ऐसी ही एक कहानी सुनाना चाहती हूँ ,एक लड़का था वो बहुत अमीर बनना चाहता था।उसने पहले छोटा व्यवसाय शुरू किया, उसकी मेहनत और लगन से उसका व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ने लगा।उसकी शादी हुई,बच्चे हुए लेकिन उसका पूरा ध्यान उसके व्यवसाय पर ही रहता।वो न तो कभी अपनी पत्नी और न ही बच्चों को समय देता।अगर कभी कोई उससे इस बारे में कहता भी तो उसका जवाब होता कि परिवार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उसके सदस्यों की जरूरतें पूरी करना है, और जरूरतें केवल पैसे से ही पूरी होती हैं।वो कहता, ” मैं जितना ज्यादा पैसा कमाऊंगा उतना ही अच्छे से परिवार का ध्यान रख पाउँगा”। उसकी पत्नी बहुत अकेली पड़ गए, बच्चे भी धीरे-धीरे बड़े हो गए थे और अपनी दुनिया में रमने लगे थे।चूँकि बच्चों को पिता से कभी भावनात्मक लगाव नहीं मिला था इसलिये वो अपने सुख दुःख तक ही सीमित थे।पत्नी को अचानक कैंसर हो गया, उसने बहुत पैसा खर्च किया इलाज में पर कभी भी पत्नी के पास बैठ उसे दिलासा नहीं दिया क्योंकि वह ऐसा करना जरुरी नहीं समझता था।तभी उसकी पत्नी चल बसी,अब वह भी बूढ़ा हो रहा था ।शारीरिक और मानसिक शक्ति के क्षीण होने के साथ ही वह बिस्तर से लग गया ।उसका व्यवसाय अब उसके बेटों ने संभाल लिया था।बीमारी और अकेलेपन में उसे अब भावनात्मक संबल की जरूरत महसूस होने लगी थी।एक दिन उसने अपने बेटों से कहा कि कभी-कभी दो पल मेरे पास बैठ जाया करो तो उन्होंने जो जवाब दिया कि उससे उस आदमी को अपने जीवन भर की भूल का आभास हो गया।उन्होंने कहा कि,”आपको जिन्दा रहने के लिए क्या चाहिए?अच्छा खाना और अच्छी दवाइयाँ, हमें नहीं लगता कि इसमें कोई कमी है।यही तो आपने हमें बचपन से सिखाया है कि सबसे जरूरी है चलते रहना,अगर रुके तो पीछे रह जायेंगे।”
यह सुनकर उसे पता चला कि उसने अपनी ज़िंदगी के कितने अनमोल पलों को अपनी महत्वकांक्षा के बोझ तले कुचल दिया।इसलिए दोस्तों,एक बाइक या कार के लिए हर दिन रेस डे हो सकता है पर हम इंसानों के लिए नहीं।ये खूबसूरत दुनिया हम अपनी सुन्दर इंसानी आँखों से शायद एक बार ही देख पाते हैं……..
By : Lovi Mishra

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 323 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज कल परिवार में  छोटी छोटी बातों को अपने भ्रतिक बुद्धि और अ
आज कल परिवार में छोटी छोटी बातों को अपने भ्रतिक बुद्धि और अ
पूर्वार्थ
कविता _ रंग बरसेंगे
कविता _ रंग बरसेंगे
Manu Vashistha
प्यासी कली
प्यासी कली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गिनती
गिनती
Dr. Pradeep Kumar Sharma
इस बार
इस बार "अमेठी" नहीं "रायबरैली" में बनेगी "बरेली की बर्फी।"
*प्रणय*
जीवन में अहम और वहम इंसान की सफलता को चुनौतीपूर्ण बना देता ह
जीवन में अहम और वहम इंसान की सफलता को चुनौतीपूर्ण बना देता ह
Lokesh Sharma
मेरे पास सो गई वो मुझसे ही रूठकर बेटी की मोहब्बत भी लाजवाब ह
मेरे पास सो गई वो मुझसे ही रूठकर बेटी की मोहब्बत भी लाजवाब ह
Ranjeet kumar patre
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
रुपेश कुमार
*नहीं हाथ में भाग्य मनुज के, किंतु कर्म-अधिकार है (गीत)*
*नहीं हाथ में भाग्य मनुज के, किंतु कर्म-अधिकार है (गीत)*
Ravi Prakash
वक़्त जो
वक़्त जो
Dr fauzia Naseem shad
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
इशरत हिदायत ख़ान
रंगों को मत दीजिए,
रंगों को मत दीजिए,
sushil sarna
खोज सत्य की जारी है
खोज सत्य की जारी है
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जिस्म से रूह को लेने,
जिस्म से रूह को लेने,
Pramila sultan
You are driver of your life,
You are driver of your life,
Ankita Patel
बाल कविता: तितली
बाल कविता: तितली
Rajesh Kumar Arjun
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
खिलेंगे फूल राहों में
खिलेंगे फूल राहों में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
फ़ुरसत
फ़ुरसत
Shashi Mahajan
ये जो मीठी सी यादें हैं...
ये जो मीठी सी यादें हैं...
Ajit Kumar "Karn"
4399.*पूर्णिका*
4399.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तू अब खुद से प्यार कर
तू अब खुद से प्यार कर
gurudeenverma198
........,?
........,?
शेखर सिंह
"क्यों नहीं लिख रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
मौसम....
मौसम....
sushil yadav
ఓ యువత మేలుకో..
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
स्वयं को बचाकर
स्वयं को बचाकर
surenderpal vaidya
माना आज उजाले ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
माना आज उजाले ने भी साथ हमारा छोड़ दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
माया और ब़ंम्ह
माया और ब़ंम्ह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
ग़ज़ल (मिलोगे जब कभी मुझसे...)
डॉक्टर रागिनी
Loading...