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1 Jul 2021 · 14 min read

एलिमेंट :- ऑफिसर मारा गया!

अध्याय प्रथम

११ दिसम्बर
२०३८
हरिद्वार
रूद्र :- इनकी मर्डर की फाइल तैयार करो जल्दी से जल्दी
रिसो :- देखो ये बॉक्स…… यहाँ इन लाशो के पास हैं क्या हैं आखिर इसमें ?
रूद्र :- कुछ केमिकल जैसा है , ऐसा करो इसे हमारी लैब में भेजो जो एच्.एन.बी यूनिवर्सिटी में जा चुकी हैं
दो दिन बाद
“ हेल्लो मैं अंकित टम्टा” जो केमिकल का बॉक्स अपने भेजा था उसमे केवल इंडस्ट्रियल केमिकल थे
जो ज्यादा घातक नहीं हैं ये मात्र सफाई के इस्तेमाल में लाये जाने वाले केमिकल हैं जैसे मशीन की धुलाई आदि
में उपयोग में लाया जाता हैं .इनकी सूची मैं आपको आपके दरोगा को भेज दे रहा हूँ.

एच .एन .बी
कंपाउंड एंड केमिस्ट्री डिपार्टमेंट
अंकित :- मेल भेजा जा चूका हैं
“इस तत्व पर तुम काम करो कोई भी डिटेल बहार नहीं जानी चाहिए”

जनवरी २०४२
कोरमंगला
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान
वैद राव :- तिन आईएस ऑफिसर मारे जा चुके हैं अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमे आपका खेल खतम करना होगा
, चोथा आईएस जिद्दी है उसने काफी जानकारिया निकाल ली है, आई .जी .सी. ए.आर के बार में
वेंकट प्रसाद :- मैं देख लूँगा तुम अपना काम करो हम दोनों की समझदारी इसी मैं हैं की तुम मुझे वो फाइल दे दो जहाँ से ये आया हैं .
वैद राव उसे फाइल दे देता हैं .
वेंकट प्रसाद किसी को कॉल लगाता हैं
वेंकट प्रसाद :- हेल्लो , एलिमेंट को तैयार करो आज वो चोथा आईएस खत्म करदो .

मार्च २०४२
दिल्ली ऐइम्स

” शरीर माद्यं खलु धर्मसाधनम्”

” इसका अर्थ क्या होता है?”

तभी पीछे से डॉक्टर कहता हैं
“ क्या आप इन्हे लाए है।“
” जी हां ये गाजियाबाद के हाईवे पर मिला, तो मैंने आपातकालीन फोन करा”
डॉक्टर :- ये कोई एक्सीडेंट तो नहीं है इसलिए हमे पुलिस को खबर करनी होगी.
डॉक्टर पुलिस को बुलाता हैं
पुलिस आती है ओर डॉक्टर से पूछताछ करती है।
डॉक्टर मरीज की आईडी और पॉकेट से निकले कागज देता है।
पुलिस :- डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हिमाचल प्रदेश। अवधेश प्रसाद
एक आईएस ऑफिसर तब तो पर्णविता दास को बताना होगा
कुछ देर बाद पर्णविता दास वहां आता है।
हेल्लो ऑफिसर
” पुलिसकर्मी सैल्यूट करते है”
जी सर अभी डीजीपी कोशल्या भी आ रही है
कोशल्या:- पर्णविता दास एक बात बताओ तुम दोनों एक साथ आईएएस ट्रैनी थे ,तो खास दोस्त होगा ये तुम्हारा।
पर्णविता:- अच्छा तो शक किया जा रहा है।
कोशल्या:- नहीं। बस पूछ रहीं हूं।
पर्णविता:- ये जिसने भी किया है वो नहीं बचेगा ।
कोशल्या ओर पर्णविता उस व्यक्ति के पास जाते है जो अवधेश को हॉस्पिटल लाया था।
कोशल्या:- ये तुम्हे कहां मिला।
” मुझे ये नेशनल हाईवे पर मिला जब हम सारे बूढ़े दोस्त पार्टी करके आ रहे थे।
ये मानो जल रहा हो पर आग कहीं नहीं थी तब हमने एम्बुलेंस बुलाई प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट नहीं किया
सीधा दिल्ली ऐइम्स के लिए रेफर करा।
तो हम इसे यहां लाए।”
पर्णविता:- नाम और काम क्या है तुम्हारा। राकेश इनकी डिटेल नोट करो
” हेमराज प्रजापति, ब्लोइंग मास्टर हूं ।
हेमराज:- घर जाए
पर्णविता :- हां ….अभी जाए।
पर्णविता : पर ध्यान रहे एनसीआर से बहार न जाये.

५३ वर्षीय हेमराज प्रजापति हॉस्पिटल से बाहर निकल कर कॉल करते है
कुछ देर बाद एक साथी आता है

अखिल:- भईया जी ये बताए कि आखिर क्या होगा अगर हम उन्हें वहां ऐसे ही छोड़ दे ।
हेमराज:- किन्हें ?
अखिल :- अवधेश जी को।
हेमराज :- अभी तक तो वो सांसे ले रहा है, पर अब मर जाएगा ।
अखिल :- क्यूं?
हेमराज:- बच्चे ऐम्स के कांड यही रह जाते है बाहर कहा जा पाते है ।
अब चाहे २०१२ के राजीव चतुर्वेदी पर लगे ८७ केस हो या कॉरोना काल के घोटाले।
अवधेश को अभी बचाना मुश्किल है।
तीन दिन बाद गाजियाबाद में बंद पड़ी पानी की फैक्ट्री।

हेमराज:- हां भाई लड़को कहां छुपे हो आ जाओ बाहर खाना ला दिया है खा पी लो।
दो व्यक्ति नजर आते है , जो बंद पड़ी मशीन को घर बना कर रह रहे थे।
शुभम :- तीन साल हो चुके है ये केस खत्म ही नहीं होता , नरक भी इससे अच्छा होगा।
हेमराज :- किसने कहा था सही राह पर चलो।
अंकित टम्टा:- सारा खेल अवधेश का था।
हेमराज:- मारा जा चुका है वो।
शुभम ओर अंकित चोंक जाते हैं, और एक दूसरे को देख शांत हो जाते हैं।
हेमराज:- उसने साथ मांगा भी नहीं था तुम दोनों से । तुम दोनों खुद इस केस में फंसते चले गए।
शुभम:- नौकरी से घर आना बच्चो के साथ खेलना सब भूल सा गया हूं सामान्य जिंदगी हसीन नजर आती है अब।
टम्टा:- सारी गड़बड़ी हुई मिल्केनियम की वजह से।
शुभम:- तुम लोग थे इस केस मै तो बस फस गया सॉफ्टवेयर बना कर।
हेमराज:- दोनों एक काम करो पर्णविता को मार दो ।
शुभम :- कातिल बना के रख दिया है , एक बार इस पूरे केस से बाहर आने दो सबसे पहले तुम्हे मारूंगा
हेमराज:- अच्छा, ये मुख्य मोहरा है इसे मारा तो तुम दोनों पर नजर रखने वाला अभी के लिए कोई नहीं होगा ।
शुभम :- मारना ठीक रहेगा?
हेमराज:- तो ठीक है फिर तुम लोग मरो!
अंकित:- तुम बोलो करना क्या है।
शुभम:- हम किसी का मर्डर नहीं करेंगे।
हेमराज:- शुभम तुम्हे बस इतना कार्य करना है कि कल पर्णविता को कॉल लगा कर कहना हैं
की अवधेश जिन घोटालों और मिल्केनियम के पीछे था उसकी सारी रिपोर्ट हमारे पास है वो तुमसे मिलने जरूर आयेगा
तुम उससे मिलना , अखिल एक नेनो वैपन तुम्हारे शर्ट की बटन में फिट कर देगा जिसका सीधा एक्सेस अखिल के पास ही होगा
इसमें रेडिएशन से भरी ऊर्जा है जैसे ही पर्णविता तुम्हारे पास होगा
अखिल दूर से ही इसे एक्टिवेट कर देगा एक बीम उसके जा लगेगी जिससे उसकी मौत हो जाएगी ।

ऐसा ही होता है एनसीआर मेरठ मेट्रो स्टेशन रात के तीन बजे सारी लाइन बंद थी।
पर्णविता:- तो तुम हो जिसने कॉल कि थी।
शुभम :- जी सर , यह है वो फाइल( उस फाइल में कुछ नहीं होता)
पर्णविता:- अब शायद मैं अवधेश को इंसाफ दिला सकूं।
और तुम्हारी यह मदद बहुत काम आयेगी।
शुभम मन ही मन सोचता है कि यह सब गलत हो रहा है
शुभम :- सर भागे , आप मरने वाले है ,यह सब चाल हैं।
अखिल:- डिवाइस एक्सेस करता है एक बीम उसके आर पार हो जाती हैं।
शुभम डर जाता है।
अखिल शुभम को लेकर वापस आ जाता हैं
हेमराज:- चलो इसका निपटारा भी हुआ ।
शुभम :- तुम आखिर सबको क्यूं मरवा रहे हो मुझे लगता है अवधेश को भी तुमने ही मरवाया है।
अंकित:- हम मोहरे है बस तुम्हारे ।
हेमराज :- तुम दोनों अब आराम से कल घर चले जाना।तुम पर अब खतरा कम है।
शुभम :- सारा खतरा तुम हो भाई।
हेमराज:- गुस्सा नहीं बेटा!
और ये सारा प्लेन अवधेश का था , तो बताओ अगर तुम दोनों को ऊपर जाना है तो में अभी पहुंचा देता हूं।
याद करो सारी कहानी तुम दोनों से ही शुरू हुई है । कुछ याद आ रहा है।
देखो बेटा अब भी मौका है और तब भी था ,क्यूं तुम लोगो ने अपना फायदा नहीं ढूंढा
क्यूं अच्छे इंसान की तरह आ गए क्या मिला सिर्फ डर ही डर अपनी मौत का ।
किसने कहा था कि सब सही किया जाए ,जैसे चल रहा था चलने देते ।
हेमराज दोनों पर चिल्ला कर चला जाता है।
शुभम:- पता नहीं कब निकलेंगे इस झमेले से ।
अंकित टम्टा:- अच्छा ये बता तू कबसे जुड़ा था अवधेश के साथ।
शुभम :- २०३९ से
अंकित टम्टा:- अच्छा , मैं भी इस केस से २०३८ से जुड़ा था ।
शुभम :- अजूबा ही है हम दोनों एक ही घोटाले से जुड़े है ओर ये बात हमे अभी सात दिन पहले पता चली है।
शायद हम दोनों इस केस के दो अलग अलग पहलू हैं?
शुभम:- काफी वर्ष बित गए हम मिले नहीं ओर देखो मिलना भी अब हुआ जब हम ४४-४५ साल के हो गए
दोनों मुस्कुराते है।
अंकित टम्टा:- अच्छा चलो बताओ आखिर कैसे फसे तुम इस केस में ।
शुभम:- ये किस्सा शुरू होता है एक सॉफ्टवेयर बनाने से
वर्ष २०३९
रोहित :- हैलो। भाभी जी नमस्ते , शुभम कहां हैं उससे जरा बात करवाए।
भाभी:- अभी वो इफको सेन्टर गए है खेती के काम से ।
रोहित :- आते ही बताना कि माइंडट्री की तरफ से ऑफर है।
शुभम घर आता है, उसे पता चलता है कि रोहित का कॉल आया था ,शुभम शाम को डोईवाला से मेट्रो लेता है और मेरठ पहुंचता है।
शुभम:- हां तो भाई ये बताओ माइंडट्री , सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर कबसे डेवलप करने लगी। हमने तो नहीं सुना यार ?
रोहित:- मुझे भी नहीं पता पर हमारी कंपनी ने ये पैकेज ले लिया है ।
वैसे हमे यह ऑफर सीधे नहीं मिला आईआईटी खड़गपुर ने सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर डेवलप करने को कहा है माइंडट्री कंपनी हेतु।
शुभम :- अरे हमे क्या यार बना कर दे देंगे ,पैकेज सही मिलना चाहिए बस।

आठ हफ्ते बाद

८ नवंबर

शुभम:- अचानक तुम्हारा फोन आता है अचानक से तेरा मिलना, इसे भाई क्या समझा जाए दोस्ती या काम के प्रति लगन
अवधेश:- काम के प्रति लगन ,मुझे जरूरत है तुम्हारी!
शुभम:- एक आईएएस ऑफिसर को हमारी मदद , भाई सॉफ्टवेयर कंपनी में डेवलपर हूं , क्या मदद करूं बता।
अवधेश:- तुमसे मिलने का सीधा मकसद है , सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर जो तुमने आईआईटी के लिए तैयार किया था।
शुभम:- ओह! वो प्रोजेक्ट तो उन्होंने रिजेक्ट कर दिया था हमने एक अच्छा सिक्योरिटी सिस्टम और एप्लिकेशन तैयार कि थी पर उन्होंने रिजेक्ट किया।
पर तुझे इस प्रोजेक्ट के बारे में कैसे पता चला ।
अवधेश:- कुछ खोजबीन कर रहा था तो बस यूं ही तेरी भी थोड़ी बहुत जानकारी इक्कठा कि , की आजकल क्या कर रहा है।
शुभम:- और बताओ क्या हाल चाल है।
अवधेश:- सब ठीक यार! अच्छा सुन ये एक ऑफिशियल काम है, तो तुम मुझे बता सकते हो कि तुमने किस तरीके का सॉफ्टवेयर बनाया था।
शुभम:- हां,पूछो।
अवधेश:- तुम पुणे डेला प्लेक्स में काम करते हो सैलरी तो अच्छी होगी
शुभम:- हा ठीक ही है।
अवधेश:- तुम्हे एक गजब बात बताता हूं, पता है आज से दो महीने पहले ही तुम्हारा नाम डेला प्लेक्स के कर्मचारियों की सूची से हटा दिया गया है।
शुभम:- क्या ! अभी काम कर रहा हूं मैं, कल ही कॉल आया था कि अगले हफ़्ते आना है ,अभी तो मैंने सैलरी उतारी है।तुम कह रहे हो नाम नहीं है मेरा।
अवधेश:- ये एक अजीब बात है जब हमने तेरी कम्पनी से कर्मचारियों कि सूची मांगी तो उसमे तेरा नाम नहीं था।
शुभम:- हो सकता है अपडेट नहीं किया हो उन्होंने।
अवधेश:- हां शायद हो सकता है , अच्छा में तुमसे सॉफ्टवेयर के बारे में पूछ रहा था।
शुभम :- हमने बनाया था एक सॉफ्टवेयर पर वो रिजेक्ट हो गया था
अवधेश:- तुम्हारी कंपनी इतने अच्छे सॉफ्टवेयर बनाती है ,तो आईआईटी खड़गपुर ने इसे रिजेक्ट क्यूं किया।
शुभम:- सीधा कारण था हम प्रोजेक्ट बना रहे थे आईआईटी खड़गपुर के लिए वो हमारे लिए एक कस्टमर कि तरह थे, उन्हें पसंद नहीं आया तो रिजेक्ट हुआ।
अवधेश:- कितने लोगो का हुआ था।
शुभम:- हमे नहीं पता हम आईआईटी नहीं गए थे हमारा प्रोजेक्ट प्रेजेंट किया था माइंडट्री ने।

अवधेश:- आज समय ज्यादा हो गया है ,तो घर जा तू और तुझे कल मेरे घर आना है। एक केस के सिलसिले में बात करनी हैं.
शुभम :- कौनसा केस ?
अवधेश :- तुम कल घर आओ वही समझाता हूँ .

अगले दिन सुबह ११ बजे
शुभम की वाइफ आती हैं चाय लेकर
“ कहीं जा रहे हों ?”
शुभम :- हाँ कुछ केस हो गया हैं सॉफ्टवेर को लेकर तो डीएम के घर जा रहा हूँ.
“तुमने कुछ किया हैं क्या ?”
शुभम :- नहीं सॉफ्टवेयर कंपनी में अक्सर ऐसा होता रहता हैं.
शुभम अवधेश के घर जाता हैं
अवधेश :- आ बैठ , नास्ता कर ले
शुभम :- नहीं अभी खा कर आया हूँ .
अवधेश :- ज्यादा समय व्यर्थ नहीं करता हूँ तेरा, कुछ बहुत बड़े घोटाले हुए हैं जिसमे एक बड़ा नाम हैं आई .जी .सी. ए.आर का .
शुभम :- क्या है ये आई .जी .सी. ए.आर ?
अवधेश :- इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र .हमारे पास कोई ठोस सबूत नहीं पर इतना जरुर पता हैं की आई .जी .सी. ए.आर का गुप्त ठिकाना नागपुर में हैं
जहाँ वो अनौपचारिक रूप से कार्यो को अंजाम देती हैं और वहां एक ऐसी सिक्यूरिटी है
अगर कोई उस जगह के दायरे में भी आया तो वहां चारो और से दीवारे उठ जाती है और आप पर हमला करती है एक काफी उर्जावान किरण से .
शुभम यह सब सुन अचंभित रह जाता हैं
अवधेश :- अधिकारियो ने मरने से पहले इसी चीज का जिक्र किया था .

शुभम :- पर हमारा प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर दिया गया था.
अवधेश :- तुम्हे कुछ अजीब नहीं लगा इस प्रोजेक्ट में , तुम डेलाप्लेक्स में काम करते हों तुम्हारी कंपनी दूसरी कंपनी माइंडट्री से प्रोजेक्ट लेती है
और खुद ये कंपनी आई आई टी खड़गपुर से प्रोजेक्ट लेती हैं .
शुभम :- हाँ हमने भी इस पर गौर किया था पर हमे पैकेज अच्छा मिल रहा था तो ज्यादा सोचा नहीं
अवधेश :- सोचो यार , तुम लोगो से एक सॉफ्टवेर बस तैयार करवाया गया हैं . और बहुत ही होशियारी से ,
आई आई टी का सीधा सम्बन्ध हैं इंदिरा गाँधी परमाणु अनुसंधान केंद्र से .
शुभम :- मुझे कोई अंदाजा नहीं है की ये सॉफ्टवेयर का गलत इस्तेमाल कैसे हुआ .
अवधेश :- जानता हूँ इसमें तुम्हारा कोई हाथ नहीं हैं, मुझे बस इतना बताओ की इसे ब्रेक कैसे किया जा सकता हैं ?
शुभम :- बिना एक्सेस कमांड के इसे ब्रेक नहीं कर सकते हैं .
अवधेश :- और ये एक्सेस वही होगा जहाँ ये सॉफ्टवेयर होगा ?
शुभम :-नहीं ऐसा नहीं हैं इसे हम दूर से भी एक्सेस कर सकते हैं
अवधेश :- कितनी दूर से ?
शुभम :- जितनी दूर से एक कॉल कनेक्ट होजाती है
अवधेश ओह ! मतलब बहुत दूर से .
शुभम :- इसे हम बायपास कर सकते हैं , ये सॉफ्टवेयर ,मशीन को एक अन्टेना और एक राऊटर से जोड़ता हैं
जिससे कई किलोमीटर दूर व्यक्ति इसे चला सकता हैं अब जैसा तुम कह रहे हो की दीवारे उठ जाती हैं
तो शायद वो पूरी जगह एक मशीन हैं तुम्हे बस सॉफ्टवेयर के पैनल स्टेशन का पता करना हैं
जहाँ से अन्टेना और राऊटर का कनेक्शन खतम किया जा सके
अवधेश :- तुम्हारे मुताबिक इस सॉफ्टवेयर पर २४ घंटे कोई न कोई नजर जरुर रख रहा है तभी वो कमांड दे पा रहा हैं .
शुभम :- हाँ ऐसा ही हो शायद .कोई भी उस जगह के आस पास आता है तो ये सॉफ्टवेयर का आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस
उस व्यक्ति की मौजूदगी को एक एजेंट के पास भेजता होगा तब वो एजेंट हथियार इस्तेमाल करता होगा .
अवधेश :- अगर बायपास हुआ तो एजेंट को पता चल जायेगा ?
शुभम:- हाँ बिलकुल क्यूंकि उसके लिए सॉफ्टवेयर से कनेक्शन टूट जायेगा .
अवधेश :- ठीक हैं शुभम तुम्हारी और भी जरुरत होगी तो जुड़े रहना .
शुभम :- ठीक है फिर मैं जाऊ ?
अवधेश की पत्नी चाय लेकर आती हैं
“ रुक जा बहुत साल बाद आया हैं “
शुभम :- बस जी आप तो याद करते नहीं तो बहुत साल बाद ही आना होगा .
“ अच्छा , और बता क्या कुछ हो रहा हैं “
शुभम :- तेरे स्वामी ने केस में फसा दिया है मुझे
“ किया होगा तूने ही कुछ “
शुभम :- ओह ! तुम्हारी बच्ची काफी सुंदर हैं इसका नाम क्या हैं ?
“ इशिता “
शुभम :- बिलकुल तुम्हारी तरह क्यूट .
अवधेश :- लड़की तो मेरी भी हैं , मुझे कुछ नहीं कहा भाई तूने
शुभम :-अरे तुम काम करो यार . चल ठीक हैं फिर मैं चलता हूँ .
शुभम २-३ दिन बाद अपने ऑफिस चला जाता हैं

पुणे
डेलाप्लेक्स ऑफिस पुणे

शुभम के दिमाग में अवधेश की बात घूम रही होती हैं की उसका नाम नहीं हैं कम्पनी की लिस्ट मे.
वो अपना नाम उपस्तिथि वाले रजिस्टर में चेक करता हैं .वो देखता हैं की वहां उसका नाम हैं
पर संतुष्टि के लिए वो इम्प्लोयी लिस्ट को चेक करने की सोचता हैं .

रोहित :- क्या सोच रहा हैं ?
शुभम :- यार एक बात बता हम इस कंपनी में कर्मचारी हैं , तो हमारा लेखा जोखा तो होगा कहीं .
रोहित :- उसे देख रहा हैं
शुभम :- हिटलर मैडम
रोहित :- हाँ सारे कर्मचारी की जानकारी, उनकी सैलरी तक का हिसाब भी वही रखती हैं
शुभम :- यार तू मांग उनसे कर्मचारियो की डिटेल.
रोहित :- नहीं देगी भाई वो …. कर्मचारियो की डिटेल .
शुभम :- तो फिर ?
रोहित :- तू क्या करेगा भाई ?
शुभम :- मेरा दोस्त है आईएस उसने बताया की तुम्हारी कंपनी में तेरा नाम नहीं हैं
रोहित :- वो क्यूँ बतायेगा भाई और उसे हमारी कंपनी से क्या ?
शुभम :- लम्बी बात है बाद में बताता हूँ तू पहले डिटेल निकाल
रोहित :- अगर तेरा नाम कंपनी की लिस्ट में नहीं होता तो तू काम कैसे कर रहा होता .
शुभम :- हा ये भी है पर फिर भी एक बार चेक कर.
रोहित :- देख अपनी हिटलर मैडम सारा डाटा अपने मेनेजर को भेजती हैं
शुभम :- तो ?
रोहित :- और अपना मेनेजर अपने भाई जैसे हैं . तो बस अब देखता जा .
रोहित मेनेजर के केबिन में जाता हैं .
रोहित :- सर , वो नागपुर वाले क्लाइंट की सारी डिटेल चाहिए थी .
मेनेजर :- क्यूँ ?
रोहित :- मैंने और शुभम ने वहां काम किया था तो वैलिडिटी और मेल एड्रेस चाहिए ताकि पूछताछ कर सके की कोई दिक्कत तो नहीं आ रही हैं न ?
मेनेजर :- बहुत अच्छे रोहित , वहां टेबल पे मेरा लैपटॉप हैं उसमे साईं डिटेल मिल जाएगी .
रोहित :- धन्यवाद सर !
रोहित शुभम के पास जाता हैं दोनों कर्मचारियों की सूची देखते हैं , शुभम सही था दो महीने से रोहित और शुभम दोनों का नाम सूची में नहीं था .
शुभम :- अवधेश सही कह रहा था !
रोहित :- शुभम यहाँ तो वो प्रोजेक्ट भी नहीं दिखा रहा हैं जो हमने दो महीने पहले बनाई थी .
हमने एक सॉफ्टवेयर बनाया था उसकी रिजेक्ट डिटेल तक भी नहीं हैं
शुभम :- चाहे रिजेक्ट हो या सबमिट हर एक की डिटेल रखी जाती हैं , पर हमारे प्रोजेक्ट से रिलेटेड कुछ नहीं हैं
शुभम और रोहित मेनेजर के पास जाते हैं
शुभम :- सर क्या आप हमे कुछ बातो को समझा सकते हैं.
मेनेजर :- हाँ क्यूँ नहीं .
रोहित :- सर हम दोनों का नाम एम्प्लोयी लिस्ट में नहीं हैं,और हम दोनों ने जो सिक्यूरिटी सॉफ्टवेयर पर काम किया था उसका तो नाम ही नहीं है कहीं भी .
मेनेजर दोनों को देखता है
मेनेजर :- देखो वो सॉफ्टवेयर रिजेक्ट किया जा चूका था ,हो सकता है उसकी डिटेल हमने कंपनी को नहीं दी हो ,
कोई बात नहीं क्या पता वो डिटेल अभी ड्राफ्ट किये हुए हों .
रोहित :- पर सर हर जगह से उसकी डिटेल गायब है
मेनेजर :- मैं प्लांट हेड से बात करके देखता हूँ शायद उन्होंने डिलीट कर दी हो .मुझे भी इसका कारन सही से नहीं पता .
और बात रही लिस्ट में नाम न होने की तो वो जल्द ही अपडेट कर दी जाएगी
शुभम :- सर शायद आप सही हो मैंने एक यूआरएल देखा था IGCAR का उसमे हो सकता हैं .परन्तु वो पासवर्ड प्रोटेक्टेड हैं .
मेनेजर :- जिस काम के लिए लिया था लैपटॉप वो तो करा नहीं तुम लोगो ने उपर से जासूसी कर रहे हो कुछ ज्यादा सर पर चढ़ चुके हो तुम दोनों .
जाओ जाकर अपना काम करो और फालतू की बातो पर ध्यान मत दो .
रोहित और शुभम दोनों साथ में शाम को घर जाते हैं अगले दिन दोनों ऑफिस के लिए निकलते हैं
रोहित को महसूस होता हैं की कोई उनका पीछा कर रहा हैं
अचानक एक शख्स आकर उनके सामने खड़ा हो जाता हैं जिसकी पिली आँखे होती है इन आँखों को देख शुभम और रोहित डर जाते हैं
“ क्या तुम शुभम हों ‘
शुभम :- हाँ ?
“ तुम मरने वाले हों “
शुभम :- क्या ! कौन हो तुम ??
वो व्यक्ति शुभम को उठता हैं और निचे फेकता हैं शुभम घायल हो जाता हैं
यहाँ सब देख पास खड़े मेट्रो पुलिस कर्मी वहां आ जाते है वो व्यक्ति सबको मारता हैं , रोहित मौका देख शुभम को एक इलेक्ट्रिक टैक्सी में बैठा देता हैं
, वो व्यक्ति उन्हें देख लेता हैं वो उनके पास आता हैं इधर शुभम और रोहित लोहे की रोड लेकर तैयार रहते हैं जैसे ही वो आता है
रोहित एक बारीक़ रोड उसकी आँख में घुसा देता है और शुभम दूसरी रोड उसके गर्दन के आर पार कर देता है ,
वो देखते हैं की यहाँ पूरा मानव नहीं हैं वो आधा मशीन होता हैं जिसमे प्राण अभी बाकि थे दोनों वहां से भागते हैं .

*

अंकित शुभम को यहीं रोकता है
अंकित टम्टा:- तुमने अभी कहाँ एक आधा इन्सान और आधा मानव ?
शुभम :- हाँ वो बहहुत भयानक था .
हेमराज :- अच्छा तो ये हुआ है तुम्हारे साथ
अंकित , शुभम :- आप यहीं हो,,, गये नहीं ?
हेमराज :- नहीं तुम्हारी कहानी मजेदार लग रही थी तो सुनने लगा .
पता है जिससे तुम टकराए वो एक प्रकार का एडवांस्ड AI हैं .
अंकित :- अब वो काफी ताकतवर हो चूका है मिल्केनियम के मिलने से .
हेमराज :- हां सहीं कहाँ वो इतना ताकतवर हो चूका है की जो आज हॉस्पिटल में गया वो अवधेश नहीं .वो एलिमेंट हैं .
अंकित :- मतलब अवधेश जिन्दा हैं , और एलिमेंट अब रूप बदलने में माहिर भी हो चूका हैं
हेमराज :- हाँ , मालिक साहब !
शुभम :- अंकित तुझे काफी पता है इस चीज़ के बारे में , तेरा भी सामना हुआ हैं उससे ?
हेमराज :- तूने इसे कुछ बताया नहीं , तभी विनम्र भाव से बात कर रहा हैं
शुभम :- क्या नहीं बताया ?
अंकित :- मुझे गलत न समझियो पर अभी तुझे कुछ भी पूरी तरीके से बता नहीं सकता ,
यार जो आधा इंसान तुझे मारने आया था उसका नाम एलिमेंट हैं दरअसल वो मैंने ही कमांड किया था तुझे मारने के लिए …

जारी हैं ………..

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