एतवार नहीं होता
हर किसी पै एतवार नहीं होता।
प्यार प्यार है व्यापार नहीं होता।।
करो ना बदनाम इस मौहबबत को।
यार सच्चा कभी गद्दार नहीं होता।।
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बांसुरी की तान छेड़ दो कान्हा।
दिल के अरमान छेड़ दो कान्हा।।
तुम्हारे बिन अधूरी है राधा तुम्हारी।
मुझको बांहों में अब भर लो कान्हा।।
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बिगडते वक्त में कोई अपना नहीं होता।
दर्द बनकर जो टूटे वो सपना नहीं होता।।
संभलकर रहा करो आज कल घर में भी।
खून का रिश्ता भी अब अपना नहीं होता।।
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वक्त बदला है तो तू भी बदल जा पयारे।
ढूंढ ना बेदर्द ज़माने में सहारे प्यारे।।
बडा ही मतलबी हो गया है ये ज़माना।
सीखले तू भी मतलब निकालना प्यारे।।
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जब भी मिलता है वो अपने लिए ही मिलता है।
वफ़ा का नाम लेकर वो रिश्ते छलता है।।
ज़रा सा आगे कोई गर उससे निकलता है।
हंसता है मगर अन्दर ही अन्दर बहुत जलता है।।
=======30/04/2020
डॉ नरेश सागर