*जीवन के संघर्षों में कुछ, पाया है कुछ खोया है (हिंदी गजल)*
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संवेदनशीलता,सहानुभूति,समानता,समरसता,सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा,सं
बदल गई काया सुनो, रहा रूप ना रंग।
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
*** भूख इक टूकड़े की ,कुत्ते की इच्छा***
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
The thing which is there is not wanted
"Stop being a passenger for someone."
फिर से लौटना चाहता हूं उसी दौर में,
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
मेरे खाते में भी खुशियों का खजाना आ गया।
जब हम सोचते हैं कि हमने कुछ सार्थक किया है तो हमें खुद पर गर
గురు శిష్యుల బంధము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'