एक ही भूल
भूल हुई हमसे जो ,
अब तक तुम्हारी खताओं को
माफ करते रहे ।
वरना जिस तरह से की तुमने ,
हमारे धर्म , आस्था और आराध्यों की ,
अवहेलना,
हमें भी तुम्हारा सिर तन से जुदा,
कर देना चाहिए था।
भूल हुई हमसे जो ,
अब तक तुम्हारी खताओं को
माफ करते रहे ।
वरना जिस तरह से की तुमने ,
हमारे धर्म , आस्था और आराध्यों की ,
अवहेलना,
हमें भी तुम्हारा सिर तन से जुदा,
कर देना चाहिए था।