एक सैनिक की आवाज़
हिमाक़त जो करे दुश्मन, कसम से ठोक देंगे हम।
बढ़ेगा जो कदम उनका, वहीं पर रोक देंगे हम।
रहेगा जब तलक तन में,लहू का एक भी कतरा-
वतन की आन में अपना,ये तन भी झोंक देंगे हम।
हिमाक़त जो करे दुश्मन, कसम से ठोक देंगे हम।
बढ़ेगा जो कदम उनका, वहीं पर रोक देंगे हम।
रहेगा जब तलक तन में,लहू का एक भी कतरा-
वतन की आन में अपना,ये तन भी झोंक देंगे हम।