बुज़ुर्गो को न होने दे अकेला
एक समय था जब हमारे परिवारों में बुजुर्गों को सर्वाधिक सम्मान दिया जाता था उनकी इच्छा के बग़ैर कोई बड़ा क्या छोटे से छोटा निर्णय भी नहीं लिया जाता था और न कोई साहस कर सकता था कि उनकी इच्छा के विरुद्ध जाकर कोई निर्णय ले सके, वो समय ही कुछ और था जब करीबी रिश्ते ही नहीं बल्कि दूर के रिश्ते भी बहुत महत्व रखते थे और इसमें कोई दो राय भी नहीं है कि पहले की तुलना में आज के समय में बुजुर्गों की स्थिति बहुत चिंताजनक है, आज बुजुर्ग बहुत अकेले व असहाय हो गये हैं वही अपनो की उपेक्षा ने उन्हें और भी तंहा कर दिया है उस पर आय का कोई स्रोत न होना और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं ने उनकी स्थिति को और भी अधिक असहनीय और दयनीय बना दिया है। और इसे विडम्बना ही कहेंगे कि आज बुजुर्ग असुरक्षित भी हैं, वर्तमान में बुजुगों के साथ घटी दुःखद दुर्घटनाएं इस बात को प्रमाणित भी करती हैं कि अकेले रहने वाले बुजुर्ग सुरक्षित नहीं, एकल परिवार की व्यवस्था ने उन्हें नितान्त अकेला कर दिया है आज उनके मन को समझने वाला कोई नहीं, कभी-कभी आर्थिक रूप से सम्पन्न होना, समस्त सुविधाओं की उपलब्धता भी उनकी भावनात्मक आवश्यकता के अभाव को कम नहीं करती, ये बात अपनी जगह है कि आर्थिक रूप से मज़बूत होना बुढ़ापे की समस्या को बहुत सीमा तक कम अवश्य कर देता है लेकिन हक़ीक़त में बहुत कम लोग अपने बुढ़ापे की तैयारी कर पाते हैं अपनों के भरोसे पर वो अपना सब कुछ लुटा देते हैं जो कि ठीक नहीं अपनों के लिए सोचना अच्छी बात है लेकिन खुद को नज़र अंदाज़ कर देना किसी भी रूप में उचित नहीं, आज हमारे समाज में बुजुगों के लिए वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या इस बात को प्रमाणित करती है कि कुछ भी ठीक नहीं है आज नहीं तो कल हमें भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है और वैसे भी वृद्धाश्रम वृद्धावस्था की समस्या का समाधान नहीं है और ये हमारे लिए शर्म की बात होनी चाहिए कि हम अपने जन्मदाताओं को ग़ैरो के रहमो करम पर छोड़ दें, वो हमारी ज़िम्मेदारी हैं उनका पूरा ख्याल रखना हमारा फ़र्ज़ बनता है बहरहाल समय बदला है लेकिन इतना भी नहीं बदला कि हम अपना कर्तव्य ही भूल जाएं, अगर आपके घर में बुजुर्ग हैं तो आप खुद को खुशनसीब मान सकते हैं बुजुर्गों की सेवा से बड़ी कोई इबादत नहीं अपने बुजुगों के उनके जीवन के अन्तिम पड़ाव को उनकी सन्तुष्टि का पड़ाव बना दे, जब वो संसार त्यागें तो आत्मसंतुष्टि का भाव उनके चेहरे से झलकता हो, पूरा प्रयास कीजिए कि आपके घर में रहने वाले बुजुर्गों के सम्मान के कभी कोई कमी न आये, उन्हें समय दीजिए और एहसास कराइए कि उनका होना आपके जीवन में कितना मायने रखता है, किसी भी विपरीत परिस्थितियों में भी आप कभी भी उन्हें अकेला न होने दें।
डॉ फौजिया नसीम शाद