एक संघर्ष है ज़िंदगी
ज़िंदगी से बस एक ही गिला है हमको
उसने कभी अपना नहीं समझा हमको
जब भी जीना चाहा हमने ज़िंदगी को
कोई न कोई ज़ख्म मिलता रहा हमको
किसी ने ज़ख्म देखकर मेरे दिल में
मरहम लगाकर सुकून दिया हमको
कोई लेकर नमक की पुड़िया आज भी
बड़ी शिद्दत से ढूंढ रहा हैं हमको
है किसके हाथ में मरहम और किसके
हाथ में नमक की पुड़िया,ये जानना है हमको
है कौन अपना यहां और कौन
कर रहा नाटक, ये पहचानना है हमको
क्या करें परखने का तरीका
इस ज़िंदगी ने ही सिखाया है हमको
लोग हमको सयाना कहते हैं
जो इस ज़िंदगी ने ही बनाया है हमको
हो कोई जितना भी सयाना यहां पर
ज़िंदगी फिर भी सबक सिखाती है हमको
जो हमने कभी सोची भी नहीं होती
उन परिस्थितियों से निपटना पड़ता है हमको
कभी पार पा जाते हैं और
कभी परिस्थितियों से हार मिलती है हमको
कुछ भी हो लेकिन, हर कदम पर
ज़िंदगी से कुछ न कुछ, सीख मिलती है हमको
थोड़ा जीने का मौका भी दे, ए ज़िंदगी
कब तक सबक सिखाती रहेगी हमको
थक गया हूं तुझसे जूझते हुए अब
ज़िंदगी में और भी बहुत काम है हमको।