एक शे’र
221-2121-1221-212
कोई मिरी जुदाई से किस दर्जा शाद है ।
फिर भी मुझे दुआओं में वो शख़्स याद है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम
221-2121-1221-212
कोई मिरी जुदाई से किस दर्जा शाद है ।
फिर भी मुझे दुआओं में वो शख़्स याद है ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम