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11 Oct 2024 · 1 min read

एक शाम

जिंदगी भर साथ तेरा निभाने का जैसे जुनून हो मुझको,
इश्क के समंदर में डूबने से क्यों रोकती हो मुझको।

उठकर तेरी महफिल से तो वैसे भी जा रहा था मैं,
फिर क्यों आवाज देकर रोकती हो मुझको।

नहीं पसंद था साथ तभी तो किनारा कर लिया मुझसे,
अब किस बात की दुहाई देकर रोकती हो मुझको।

जाने दो इस दर से मुझे, दिल अब लगता नहीं मेरा,
रुसवाई कुछ और बाकी है, जो रोकती हो मुझको।

जिंदगी की जद्दोजहद में सुकून की एक शाम पाई थी,
छिन गया वह भी मुझसे, अब क्यों रोकती हो मुझको।

इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
9425822488

1 Like · 22 Views
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