एक लड़की की कहानी (पार्ट1)
मैं एक लड़की की कहानी
बता रही अपनी जुबानी…
पैदा होते ही माँ -बाप रोये
हाय बेटी हुए है… बेटा नहीं
मैं नन्ही परी ,इंतिज़ार में कोई प्यार तो दे…
बड़ी हुए तो सभी का समझना कि ..
तुम समझदार हो… कोई ये नही कहता कि
जा जीले अपना बचपन
माँ बाप ने शादी करा दी ,पढ़ने भी न दिया
एक पराए घर मे भेज दिया..
ससुराल कब किसका अपना घर होता है
यह बस बहु मतलब फुल टाइम नौकर
न बहु की जरूरत ,न कोई साधन
बेचारी लड़की छोटी सी उम्र में बहु,भाभी,….पता नहीं क्या क्या बन जाती है